कम पानी पीने वालों को हो सकती है यह बड़ी समस्या! जानें रिसर्च में क्या हुआ खुलासा..?

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HealthTips: आज कल भागदौड की जिंदगी में तनाव होना आम बात है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस तनाव को कम करने में पानी कितना कारगर हो सकता है? अगर ये बातें नहीं पता है तो जान लिजिए तनाव कम करने में भी पानी पीना बेहद जरूरी है. हालांकि, किडनी और लिवर के स्वास्थ्य के लिए पानी पीना बेहद जरूरी बताया गया है लेकिन तनाव में भी पानी पीना लाभदायक है.

एक व्यक्ति के लिए कम से कम कितना पानी पीना जरूरी?

हाल ही में एक रिसर्च में बताया गया है कि हर दिन एक व्यक्ति के लिए कम से कम कितना पानी पीना जरूरी है और अगर शरीर की यह जरूरत पूरी नहीं होती तो तनाव किस तरह बढ़ सकता है. जर्नल ऑफ एप्लायड फिजियोलॉजी में एक स्टडी छपी है, जिसमें सामने आया है कि जो लोग एक दिन में 1.5 लीटर से कम पानी पीते हैं, तनाव से जुड़ी स्थितियों में उनके शरीर में कॉर्टिसोल नाम के हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, यह शरीर में तनाव पैदा करने वाला प्रमुख हार्मोन है.

पानी की कमी आम व्यक्ति में बढ़ाता है तनाव वाले भाव

रिसर्च के मुताबिक शरीर में थोड़ा भी डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) आम व्यक्ति में तनाव वाले भाव बढ़ा देता है और उसकी प्रतिक्रियाएं भी बदलने लगती हैं. वैज्ञानिकों के एक समूह ने यह पूरी रिसर्च युवाओं पर की थी. चौंकाने वाली बात यह है कि रिसर्च में हिस्सा लेने वाले जिन भी लोगों ने कम पानी पिया था, वे ज्यादा पानी पीने वालों के मुकाबले प्यासे होने का अनुभव नहीं कर रहे थे. हालांकि, उनका शरीर कुछ और ही कह रहा था. उनकी यूरिन का गाढ़ापन उनके शरीर में कम पानी का इशारा कर रहा था. इससे सामने आया कि ज्यादा प्यास हमेशा शरीर में पानी की जरूरत का परिचायक नहीं होता.

पानी को बचाया जाए और खून का आयतन प्रबंधित रहे..

शरीर में पानी की कमी का पूरा विज्ञान दिमाग से जुड़ा है. जब भी शरीर में पानी की कमी होती है तो दिमाग वैसोप्रेसिन नाम के हार्मोन को छोड़ता है, जो कि किडनी को यह संदेश देता है कि पानी को बचाया जाए और खून का आयतन प्रबंधित रहे. हालांकि वैसोप्रेसिन अकेले काम नहीं करता. इसके साथ दिमाग का चेतावनी देने वाला सिस्टम भी सक्रिय हो जाता है, जो कि कठिन समय में शरीर कॉर्टिसोल हार्मोन की मात्रा बढ़ा देता है. नतीजतन शरीर में कम तरल पदार्थों की मौजूदगी तनाव का स्तर काफी बढ़ा देता है.

काम खत्म करने की डेडलाइन पर होता है..

यह स्थिति न सिर्फ लोगों की शारीरिक स्थिति को खराब करती है बल्कि उनकी मानसिक स्थिति भी गड़बड़ होने लगती है. ऐसे में जब भी कोई व्यक्ति रोजाना के दबाव का सामना करता है या काम खत्म करने की डेडलाइन पर होता है या पारिवारिक जिम्मेदारियों और वित्तीय चिंताओं से जूझ रहा होता है तो उसकी मानसिक स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है, जो कि कुल मिलाकर स्वास्थ्य के लिए ही घातक सिद्ध हो सकती है.

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