10वें CAT सम्मेलन को CJI बी. आर. गवई ने किया संबोधन, कहा- ‘धन से नहीं, न्याय और स्वतंत्रता के प्रेम से संचालित होनी चाहिए न्यायपालिका’

Shivam
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CJI BR Gavai 10th All India Conference of CAT:  CJI बीआर गवई ने 10वें अखिल भारतीय केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायपालिका का अस्तित्व तभी सार्थक है, जब उसमें पारदर्शिता, जिम्मेदारी और जनविश्वास बना रहे. उन्होंने कहा कि कैट की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था पिछले चार दशकों से सेवा विवादों के समाधान का.महत्वपूर्ण मंच रही है, लेकिन लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और हाइकोर्ट्स में बार-बार चुनौती दिए जाने की प्रवृति बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है.

41 साल पहले बॉम्बे में हुई थी CAT की स्थापना

उन्होंने बताया कि CAT की स्थापना 41 साल पहले बॉम्बे में हुई थी और इसने समय के साथ अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है. विधि आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक CAT ने लगभग 94 फीसदी रही है और लगभग छह लाख मामलों में से चार लाख का निपटारा हो गए हैं. जबकि 2016 से 2019 के बीच यह डदर 91 फीसदी थी.

CJI ने कहा कि केवल आंकड़ों से उपलब्धियां नहीं मापी जा सकती, क्योंकि 2017 में जहां CAT में लंबित मामलों की संख्या 44000 थी, वहीं अब यह बढ़कर एक लाख से अधिक हो गया है. इसपर CJI ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि CAT के फैसलों के खिलाफ बड़ी संख्या में याचिकाएं हाइकोर्ट्स में दाखिल होती है, जिससे जिससे.मुकदमा लंबा खिंचता है. उन्होंने सुझाव दिया कि शायद एक फिल्टरिंग मैकेनिज्म या प्रमाणन व्यवस्था बनाई जा सकती है. ताकि यह तय हो सके कि कौन सा मामला आगे अपील योग्य है और कौन सा नही?
CJI गवई ने सदस्यों कि नियुक्ति को लेकर कहा कि CAT में न्यायिक और प्रशासनिक सदस्य शामिल होते हैं. यह विविधता इसकी ताकत है, लेकिन दोनों को अलग-अलग प्रशिक्षण की आवश्यता है. उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक सदस्यों प्रशासनिक ढांचे की बारीकियों से परिचित कराया जाना चाहिए.

‘धन नहीं, न्याय का प्रेम हो मार्गदर्शक’-CJI का संदेश

CJI गवई ने इसके लिए एक एकीकृत नियुक्ति प्रक्रिया और स्पष्ट पात्रता मानक की मांग की, जिससेपारदर्शिता बढ़े और जनविश्वास मजबूत हो. CJI ने कहा कि CAT की वेबसाइट अभी केवल संक्षिप्त जानकारी देती है. इसलिए राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड जैसी व्यवस्था प्रशासनिक न्यायाधिकरणों के लिए भी बनाई जानी चाहिए. इससे मामले दर्ज होने, निस्तारण और लंबित रहने की स्थितिका तुलनात्मक और पारदर्शी आकलन संभव होगा.
आगे CJI ने न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को लेकर कहा कि कुछ न्यायाधीशों के आचरण से न्यायपालिका की छवि धूमिल हुई है, और ये अक्सर मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना रहता है. उन्होंने एक कहानी के जरिए कहा कि धन नहीं न्याय के प्रेम में जिए न्यायाधीश. उन्होंने कहा कि जज और वकील न्याय नामक सुनहरी चिड़िया के दो पंख हैं. न कोई बड़ा है न छोटा. दोनों के सहयोग के बिना न्यायपालिका ठीक से काम नही कर सकती है.

कानून मंत्री मेघवाल ने अपील संस्कृति पर उठाए सवाल

CJI ने अंत कहा कि न्यायाधीशों और ट्रिब्यूनल सदस्यों के पास शक्ति होती है, लेकिन इसे विनम्रता और जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करना चाहिए. वही केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि विभाग, ट्रिब्यूनल के सही आदेशों पर भी अक्सर रूटीन तरीके से अपील दाखिल कर दी जाती है. उन्होंने कहा कि बिना सोचे-समझे अपील करने की प्रवृति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है और इसे सुधारना जरूरी है.
उन्होंने यह भी कहा कि कई बार अधिकारी पहले नोटिंग में किसी आदेश को गलत मान लेते हैं और बाद.में ट्रिब्यूनल के पक्ष में फैसला आने पर विभाग सिर्फ उस नोटिंग के कारण अपील करता है. मेघवाल ने यह भी कहा कि अधिकारी के रिटायर होने के बाद स्वीकार किया जाता है कि अपील की कोई जरूरत ही नहीं थी.
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