कफ सिरप से बच्चों की हुई मौत की नहीं होगी CBI जांच, सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज!

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की हुई मौत की जांच CBI से कराने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया. शीर्ष न्यायालय में एक पीआईएल दायर कर इस मामले की जांच CBI से करने की मांग की गई थी. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हो गया था.

अखबार पढ़ते हैं और कोर्ट में आ जाते हैं  याचिकाकर्ता

सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता अखबार पढ़ते हैं और कोर्ट में आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि याचिका केवल समाचार-पत्र में पढ़ी गई खबरों पर आधारित है और घटना से संबंधित कोई भी दस्तावेज या सबूत याचिकाकर्ता के पास मौजूद नहीं है. शुरुआत में अदालत इस मामले पर नोटिस जारी करने जा रही थी लेकिन मेहता ने कहा कि वो किसी राज्य सरकार की ओर से पेश नहीं हो रहे हैं लेकिन जिस तरीके से तमिलनाडु और मध्यप्रदेश की राज्य सरकारों ने काम किया है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

राज्यों में इससे निपटने के लिए प्रभावी कानून और तंत्र मौजूद

इसके अलावा राज्यों में इससे निपटने के लिए प्रभावी कानून और तंत्र मौजूद हैं. राज्य सरकार के जांच एजेंसियों पर उन्होंने भरोसा जताया है. उसके बाद उन्होंने याचिका खारिज करने का आदेश दिया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वकील विशाल तिवारी ने याचिका दायर कर मांग की थी कि बच्चों की मौत के मामलों की कोर्ट की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाए. याचिका में मांग की गई थी कि इस मामले में दर्ज FIR और जांच CBI को सौंपा जाए. याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर एक न्यायिक आयोग या विशेषज्ञों का टास्क फोर्स गठित करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए.

मध्यप्रदेश और राजस्थान के 16 बच्चों की हो चुकी है मौत

तमिलनाडु में निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) नामक रसायन मानक से अधिक मात्रा में मिलाए जाने की वजह से मध्यप्रदेश और राजस्थान के 16 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. बता दें कि इस याचिका में वकील विशाल तिवारी ने मांग करते हुए कहा कि ये लापरवाही की चरण सीमा है. याचिकाकर्ता ने अदालत से मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग की थी.

याचिकाकर्ता ने पहले से ही 10 अन्य जनहित दायर की है याचिकाएं

इस याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने कहा कि बेंच मामले पर विचार करने को तैयार थी. हालांकि जब यह जानकारी मिली कि याचिकाकर्ता ने पहले से ही 10 अन्य जनहित याचिकाएं दायर की है तो अदालत ने नई याचिका खारिज कर दी.

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