Uttarakhand: उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार पर्यटकों को सहूलित मुहैया कराने के लिए लगातार काम कर रही है. इसी कड़ी में धामी सरकार ऋषिकेश से नीलकंठ की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए रोपवे का निर्माण कराने पर विचार कर रही है.
पूरी की जा रही फॉर्मलिटीज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऋषिकेश से नीलकंठ रोपवे के लिए फॉर्मलिटीज अभी पूरी की जा रही हैं. उम्मीद है कि जल्द ही इस रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर सारी औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी. इसके बाद इस पर काम शुरू किया जाएगा. इस रोपवे के निर्माण से ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर तक यात्रा और अधिक सुविधाजनक हो जाएगी. वर्तमान में नीलकंठ मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को कठिन पहाड़ी रास्तों और ट्रैफिक से गुजरना पड़ता है, लेकिन रोपवे शुरू होने के बाद यह सफर कुछ ही मिनटों में तय किया जा सकेगा.
इन रोपवे प्रोजेक्ट का पूरा हुआ काम
पिछले चार वर्ष में उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में रोपवे इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं. पर्वतमाला परियोजना के तहत 39 रोपवे परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है, जिसमें मानसखंड कॉरिडोर में नैनीताल (2), अल्मोड़ा (7), जागेश्वर (2), पिथौरागढ़ (3) और चंपावत (2) में रोपवे परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है.
प्रस्तावित रोपवे मार्गों में शामिल
पर्वतमाला योजना के तहत अन्य प्रस्तावित रोपवे मार्गों में शामिल हैं: केदारनाथ और हेमकुंड साहिब, ऋषिकेश से नीलकंठ, औली से गोरसोन, रानीबाग से हनुमान मंदिर, पंचकोटी से बौरारी, बलाती बैंड से खलिया टॉप, रायथल-बार्सू से बरनाला, उत्तरकाशी शहर से वरुणावत पहाड़ी, कनकचौरी से कार्तिक स्वामी मंदिर तक. इन रोपवे के निर्माण से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बड़ी राहत मिलेगी.
देहरादून से मसूरी रोपवे पर जल्द शुरू होगा काम
बता दें कि देहरादून से मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट का निर्माण भी जल्द ही शुरू होने वाला है. राज्य सरकार सड़कों के साथ ही रेलवे, रोपवे और हवाई संपर्क पर ध्यान केंद्रित कर रही है. इससे न केवल दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों के लिए यात्रा में सुधार होगा बल्कि उन पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
बता दें कि ऋषिकेश में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव का प्रतिष्ठ मंदिरों में से एक है. हर साल लाखों भक्त इस शिव मंदिर के दर्शन-पूजन करने आते हैं. इस मंदिर की नक्काशी देखते ही बनती है. अभी नीलकंठ मंदिर तक पहुंचने के लिए कई तरह के पहाड़ और नदियों से होकर गुजरना पड़ता है.
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