भारत-अमेरिका संबंधो को लेकर विदेश मंत्रालय का बड़ा बयान, कहा-कई बदलावों और चुनौतियों से गुजरकर काफी मजबूत हुई दोनों देशों की साझेदारी

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच के संबधों और साझेदारियों को लेकर शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने बड़ा बयान दिया है. दरअसल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि “भारत और अमेरिका के बीच साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत जनसंपर्क पर आधारित एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है.

उन्होंने कहा कि यह साझेदारी कई बदलावों और चुनौतियों से गुजर चुकी है. दोनों देश अपने ठोस एजेंडे पर केंद्रित हैं और हमें विश्वास है कि यह संबंध आगे भी प्रगति करेगा. विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने भारत पर नए शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की है.

अमेरिका ने भारत पर लगाया 25 प्रतिशत का टैरिफ

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि भारत से आने वाले सामानों पर 25 प्रतिशत का ‘पारस्परिक शुल्क’ लगाया जाएगा और रूस से ऊर्जा खरीद को लेकर एक अलग दंडात्मक शुल्क भी लगाया जाएगा, जो 1 अगस्त से प्रभावी होगा.

रूसी ऊर्जा खरीदारों पर 100 प्रतिशत तक का ‘सेकेंडरी टैरिफ’

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा कि “भारत 1 अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क देगा.” साथ ही उन्होंने यह कहा कि भारत को रूस से ऊर्जा खरीदने पर अतिरिक्त दंड भी भुगतना होगा. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में जब तक रूस युद्धविराम नहीं करता, तब तक जो देश रूस से ऊर्जा खरीदते रहेंगे, उन पर अमेरिका की ओर से 100 प्रतिशत तक का ‘सेकेंडरी टैरिफ’ लगाया जाएगा.

भारत और अमेरिका के बीच जल्‍द हो सकता है कोई समझौता

वहीं, विदेश मामलों के विशेषज्ञ ट्रंप के इस कदम को एक रणनीतिक दबाव के रूप में देख रहें है, जिससे भारत को किसी समझौते के लिए प्रेरित किया जा सके, खासकर तब जब अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक जैसे अधिकारी यह संकेत दे चुके हैं कि भारत जल्द ही कोई व्यापारिक समझौता कर सकता है.

भारत रूसी ऊर्जा खरीदने वाला सबसे बड़ा खरीदार

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में लिखा कि “याद रखिए, भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने वर्षों से उनके साथ अपेक्षाकृत बहुत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ विश्व में सबसे अधिक हैं. भारत ने हमेशा अपनी अधिकांश सैन्य खरीद रूस से की है और वह रूस से ऊर्जा खरीदने वाला सबसे बड़ा खरीदार है. वह भी ऐसे समय में जब पूरी दुनिया चाहती है कि रूस यूक्रेन में नरसंहार बंद करे.”

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