30 जुलाई को लॉन्च होगा ISRO-NASA का संयुक्त उपग्रह, आपदा प्रबंधन में मददगार

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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NISAR Mission 2025: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने चेन्नई हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 30 जुलाई को इसरो और नासा की ओर से संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को भारत में निर्मित जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.

740 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा स्थापित

यह उपग्रह 740 किलोमीटर (NISAR Mission 2025) की ऊंचाई पर स्थापित होगा. यह एक अत्याधुनिक रडार उपग्रह है, जो बादलों और बारिश के बावजूद 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है. यह उपग्रह भूस्खलन, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में मदद करेगा. नारायणन ने कहा कि यह उपग्रह न केवल भारत और अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगा. उन्होंने आदित्य एल1 मिशन के बारे में भी जानकारी दी.

इसरो को सूर्य से संबंधित डेटा प्राप्त हो चुका है

उन्होंने कहा, “26 जनवरी को 1.5 किलोग्राम वजन के साथ लॉन्च किया गया यह उपग्रह सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा गया था. इसरो को सूर्य से संबंधित डेटा प्राप्त हो चुका है, जिसका वैज्ञानिक विश्लेषण कर रहे हैं.” नारायणन ने यह भी बताया कि इसरो तमिलनाडु, केरल या उत्तरी राज्यों के लिए अलग-अलग काम नहीं करता, बल्कि पूरे देश की जरूरतों के लिए शोध करता है.” अंतरिक्ष में मानव मिशन की तैयारियों के बारे में बात करते हुए, नारायणन ने कहा, “इस साल दिसंबर में एक मानवरहित मिशन भेजा जाएगा. अगर यह सफल रहा, तो अगले साल दो और मानवरहित मिशन भेजे जाएंगे. प्रधानमंत्री की ओर से घोषित योजना के अनुसार, मार्च 2027 में मानवयुक्त मिशन लॉन्च किया जाएगा. इसरो इसके लिए श्रीहरिकोटा में पहला वाहन तैयार कर रहा है.”

चंद्रयान-4 मिशन को लेकर जताया उत्साह

नारायणन ने चंद्रयान-4 मिशन को लेकर भी उत्साह जताया. यह मिशन चंद्रमा पर उतरकर वहां से नमूने लाने के लिए है, और इसे सफल बनाने के लिए इसरो पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इसके अलावा, चंद्रयान-5 भारत और जापान का संयुक्त प्रोजेक्ट होगा, जो 100 दिनों तक काम करेगा. इसरो वर्तमान में 55 उपग्रहों का उपयोग कर रहा है और इन्हें अगले चार साल में तीन हिस्सों में बांटने की योजना है. नारायणन ने कहा कि इसरो के ये मिशन भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में बढ़ती ताकत को दर्शाते हैं. ये परियोजनाएं न केवल भारत, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान देंगी.

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