Pandit Chhannulal Mishra Death: प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार को 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में अंतिम सांस ली. जानकारी के अनुसार, पंडित छन्नूलाल मिश्र पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे. कुछ दिन पहले उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तबीयत में सुधार होने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन गुरुवार सुबह उनका निधन हो गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख
घर लौटने के बाद भी उनकी सेहत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ और गुरुवार सुबह मिर्जापुर में उनका निधन हो गया. उनके निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. पंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम को बनारस में किया जाएगा. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया.
PM मोदी ने शेयर की तस्वीरें
सोशल मीडिया मंच एक्स पर कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, “सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे. उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान दिया. यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सदैव उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा.” उन्होंने आगे कहा, “साल 2014 में वे वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे। शोक की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं. ओम शांति!”
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान… pic.twitter.com/tw8jb5iXu7
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2025
महज छह वर्ष की आयु में ली संगीत की शिक्षा
बता दें कि शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम रहे पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था. वे किराना और बनारस घराने के प्रमुख गायक माने जाते थे. मात्र छह वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पिता पंडित बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ली और नौ वर्ष की उम्र में उस्ताद गनी अली साहब से खयाल गायकी की गहन शिक्षा प्राप्त की. उनके दादा, गुदई महाराज शांता प्रसाद, एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, जिनसे उन्हें संगीत विरासत में मिला था.