झारखंड आंदोलन के प्रणेता शिबू सोरेन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जताया शोक, बोलीं- ‘सामाजिक न्याय में अपूरणीय क्षति’

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
झारखंड आंदोलन के प्रणेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन (Shibu Soren) के निधन पर देशभर में शोक की लहर है. उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए इसे सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति बताया है.

शिबू सोरेन का निधन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट में लिखा, शिबू सोरेन का निधन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है. उन्होंने आदिवासी अस्मिता और झारखंड राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष किया. जमीनी स्तर पर काम करने के अलावा, उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और सांसद के रूप में भी योगदान दिया. उन्होंने आगे लिखा, जनता, विशेषकर आदिवासी समुदायों के कल्याण पर उनके ज़ोर को सदैव याद रखा जाएगा। मैं उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी, परिवार के अन्य सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं.

शिबू सोरेन ने सर गंगाराम अस्पताल में ली अंतिम सांस

शिबू सोरेन ने सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. झारखंड और वहां के आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए समर्पित उनका जीवन आदिवासी राजनीति में एक मिसाल था. उन्हें आदर के साथ ‘गुरुजी’ और ‘दिशोम गुरु’ के नाम से जाना जाता था.

बिहार के हजारीबाग में हुआ था शिबू सोरेन का जन्म

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को बिहार के हजारीबाग में हुआ था. उन्होंने आदिवासियों के शोषण और अन्याय के खिलाफ लंबा संघर्ष किया. 1977 में पहली बार चुनाव लड़ने के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 1980 से वे लगातार कई बार सांसद चुने गए.
झारखंड के अलग राज्य के रूप में गठन के आंदोलन में उनकी निर्णायक भूमिका रही. वे तीन बार (2005, 2008, 2009) झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, हालांकि एक भी बार उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया.

 

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