Jagannath Rath Yatra Stampede: ओडिशा के पुरी में रथ यात्रा के दौरान बड़ा हादसा हो गया है. आज सुबह पुरी के शरधाली इलाके में भगदड़ जैसी स्थिति हो गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई है. मृतकों में दो महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं. वहीं. 50 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है.
सुबह करीब 4:30 बजे हुआ ये हादसा
यह हादसा सुबह करीब 4:30 बजे हुआ, जब भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को ले जा रहे तीन रथ जगन्नाथ मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर के पास थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, गुंडिचा मंदिर के पास भारी भीड़ दर्शन के लिए जुटी थी. भीड़ बढ़ने पर कुछ लोग गिर गए, जिससे भगदड़ शुरू हो गई. इस हादसे में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. मृतकों में दो महिलाएं- प्रभाती दास और बसंती साहू शामिल हैं. इसके अलावा, 70 वर्षीय प्रेमकांत मोहंती की भी मौत हुई है. ये तीनों खुरदा जिले के रहने वाले थे और रथ यात्रा के लिए पुरी आए थे. कुछ घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है.
रथ खींचने में हुई देरी
रथों को शुक्रवार शाम तक गुंडिचा मंदिर पहुंचना था, लेकिन भगवान बलभद्र के तलध्वज रथ के एक मोड़ पर अटकने के कारण रथों को ग्रांड रोड पर रोकना पड़ा. इससे अन्य दो रथ भी आगे नहीं बढ़ सके. हालांकि, पहांदी जैसे अधिकांश अनुष्ठान जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के निर्धारित समय पर पूरे हुए, लेकिन रथ खींचने में काफी देरी हुई, जिससे भक्तों में नाराजगी देखी गई. भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ (तलध्वज और दर्पदलन) बीच रास्ते में रुक गए, जबकि भगवान जगन्नाथ का रथ (नंदीघोष) सिंहद्वार से थोड़ा आगे बढ़कर रुक गया.
कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने की मीडिया से बात
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शुक्रवार को कहा कि सभी अनुष्ठान समय पर पूरे होने के बाद दोपहर 4 बजे रथ खींचना शुरू हुआ था, लेकिन बदा दांडा (ग्रांड रोड) के प्रमुख मोड़ों पर समस्याओं और पिछले वर्षों की तुलना में 1.5 गुना अधिक भक्तों की भीड़ के कारण व्यवधान हुआ. उन्होंने कहा, “इस साल अनुकूल मौसम के कारण भक्तों की संख्या अधिक थी, जिससे भीड़ को नियंत्रित करना और चुनौतीपूर्ण हो गया.”
तीन भव्य रथों को खींचती है भीड़
रथ यात्रा के दौरान (Jagannath Rath Yatra Stampede) भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों वाले तीन भव्य रथों को भारी भीड़ द्वारा खींचा जाता है. ये रथ गुंडिचा मंदिर तक ले जाए जाते हैं, जहां तीनों देवता एक सप्ताह तक रहते हैं और फिर जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं.