वाराणसी में गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का आगाज, साहित्य और संस्कृति पर गूंजे विचार

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Ghazipur Literature Festival 2025: वाराणसी के द क्लार्क्स होटल में आज गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का शुभारंभ हुआ. यह पूर्वांचल का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय साहित्य और कला उत्सव माना जा रहा है. इस आयोजन में देश-विदेश से साहित्यकार, कलाकार और विचारक शामिल हुए. भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने उद्घाटन सत्र में साहित्य और संस्कृति को जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया.

CMD और एडिटर-इन-चीफ का संबोधन

भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने उद्घाटन सत्र में कहा कि साहित्य केवल किताबों तक सीमित नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति और समाज का आईना है. उन्होंने बताया कि इस फेस्टिवल का उद्देश्य युवाओं को साहित्य से जोड़ना और उन्हें अपनी परंपराओं को समझने का अवसर देना है. राय ने कहा कि आज के समय में जब सोशल मीडिया और त्वरित मनोरंजन का दौर है तब साहित्य हमें गहराई से सोचने और समाज को समझने का मौका देता है.

प्रेम शुक्ला ने क्या कहा?

भारतीय जनता के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला भी इस फेस्टिवल ( Ghazipur Literature Festival) में शामिल होने के लिए पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि पीएम मोदी खुद साहित्यकार है. पीएम मोदी के संकल्प का साकार करने में युवाओं का सबसे अधिक योगदान है. इस विकास में युवाओं के पास साहित्य जरूरी है. इसी कारण पीएम मोदी युवाओं को साहित्य के प्रति हमेशा जागरुक करते रहते हैं.

आचार्य पवन त्रिपाठी का संदेश

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के कोषाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने उपेंद्र राय की सराहना करते हुए कहा कि साहित्य और अध्यात्म का रिश्ता बहुत पुराना है. उन्होंने कहा कि वेदों से ही साहित्य की परंपरा शुरू हुई और इसे आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है. त्रिपाठी ने युवाओं को किताबें पढ़ने की नसीहत दी और कहा कि ‘रील वाली पीढ़ी’ को साहित्य पर ज्यादा समय देना चाहिए ताकि उनका व्यक्तिगत और सामाजिक विकास हो सके.

कितने लोग शामिल हुए

फेस्टिवल में देश-विदेश से सैकड़ों लोग शामिल हुए. इसमें साहित्यकार, कवि, पत्रकार, कलाकार और छात्र बड़ी संख्या में मौजूद थे. माना जा रहा है कि तीन दिनों में हजारों लोग विभिन्न सत्रों में शामिल होंगे.

कार्यक्रम की झलक

गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 के उद्घाटन सत्र में साहित्य और संस्कृति पर चर्चा हुई. इसके बाद देश के नामी कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं. वहीं अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के तहत विदेश से आए साहित्यकारों ने भारतीय संस्कृति और साहित्य पर अपने विचार साझा किए.

महत्व और असर

गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 न सिर्फ साहित्य का उत्सव है बल्कि यह पूर्वांचल की सांस्कृतिक धरोहर को भी दुनिया के सामने पेश करने का मंच है. इससे स्थानीय कलाकारों और साहित्यकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला. साथ ही, युवाओं को किताबों और विचारों की दुनिया से जोड़ने का प्रयास किया गया.

भारत एक्सप्रेस और भारत डायलॉग्स की पहल

गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 ( Ghazipur Literature Festival 2025) की शुरुआत शुक्रवार को वाराणसी के होटल द क्लार्क्स में हो गई है. तीन दिवसीय इस भव्य आयोजन का उद्घाटन भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया. जैसे ही लिटरेचर फेस्टिवल का उद्घाटन हुआ सभागार तालियों से गूंज उठा और फेस्टिवल का माहौल पूरी तरह सांस्कृतिक रंगों में डूब गया.

यह फेस्टिवल भारत डायलॉग्स और भारत एक्सप्रेस की संयुक्त पहल है. उद्घाटन के दौरान भारत डायलॉग्स की सह-संस्थापक और गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल की डायरेक्टर पूजा प्रियंवदा और फेस्टिवल निदेशक विवेक सत्यमित्रम भी मौजूद रहे.

गाजीपुर में 8 और 9 नवंबर को मुख्य कार्यक्रम

सभागार सुबह से ही लोगों से भर गया था. साहित्य और संस्कृति से जुड़ी संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, स्थानीय लोगों और युवाओं की बड़ी संख्या मौजूद रही. उद्घाटन के बाद पहले दिन फेस्टिवल की थीम “जड़ों की ओर” को केंद्र में रखते हुए सभी अतिथियों ने अपने वकतव्य दिये. फेस्टिवल के मुख्य कार्यक्रम 8 और 9 नवंबर को गाजीपुर में आयोजित होंगे, जहां पैनल डिस्कशन, वर्कशॉप, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और गिर्मिटिया विरासत पर विशेष सत्र होंगे.

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