Lakhimpur: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक रोता- बिलखता पीड़ित पिता अपने मृत नवजात बेटे के शव को झोले में लेकर DM और SP के कार्यालय पहुंच गया. इससे कार्यालय परिसर में अफरा-तफरी मच गई. मौके पर ही DM और SP ने SDM सदर और CMO को बुलवाया. पीड़ित पिता के मामले की जांच कराने के आदेश दिए.
निजी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से नवजात की हुई मौत
दरअसल, निजी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से विपिन गुप्ता के नवजात बेटे की मौत हो गई थी. महेवागंज स्थित गोलदार हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान उनकी गर्भवती पत्नी का इलाज रोक दिया गया. इससे नवजात की मौत हो गई. मां की हालत गंभीर बनी हुई है. इसी मामले में शुक्रवार को पीड़ित पिता विपिन गुप्ता मृत नवजात को झोले में रखकर DM और SP के दफ्तर पहुंचे और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी.
गांव की आशा बहू के कहने पर ले गए गोलदार हॉस्पिटल
भीरा थाना क्षेत्र के नौसर जोगी गांव निवासी विपिन गुप्ता ने बताया कि 21 अगस्त की रात प्रसव पीड़ा होने पर पत्नी रूबी गुप्ता को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजुआ ले गए थे, जहां डॉक्टरों ने जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. इस बीच गांव की आशा बहू दीपा के कहने पर परिजन रूबी को महेवागंज स्थित गोलदार हॉस्पिटल ले गए. आरोप है कि अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने सामान्य प्रसव के लिए 10 हजार और ऑपरेशन के लिए 12 हजार रुपए मांगे.
रुपए पूरे न होने तक इलाज करने से मना कर दिया..
जब प्रसव बिगड़ने लगा तो डॉक्टरों ने 25 हजार रुपए की मांग रखी. रुपए पूरे न होने तक इलाज करने से मना कर दिया. विपिन गुप्ता के मुताबिक, उन्होने तत्काल 5 हजार रुपए दिए, लेकिन इसके बावजूद डॉक्टरों ने इलाज करने में देर कर दी. हालत बिगड़ते ही अगले दिन महिला को अस्पताल से जबरन बाहर कर दिया गया. बाद में सर्जन अस्पताल में दिखाने पर पता चला कि गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी थी और महिला की हालत भी गंभीर हो गई.
गलत दवाइयां दी, इलाज में जानबूझकर की गई देरी
पीड़ित परिवार का आरोप है कि गलत दवाइयां दी गईं और इलाज में जानबूझकर देरी की गई. नवजात की मौत से गुस्साए परिजन शुक्रवार को बच्चे का शव झोले में रखकर DM दुर्गा शक्ति नागपाल और SP संकल्प शर्मा से मिले और कार्रवाई की मांग की. मौके पर पहुंचे SDM सदर अश्विनी कुमार सिंह और CMO डॉ. संतोष कुमार गुप्ता ने पूरे मामले की जांच की. CMO ने नियम विरुद्ध संचालन और गंभीर लापरवाही का दोषी मानते हुए गोलदार हॉस्पिटल को सीज कर दिया है.
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