पूर्वांचल की धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित और मजबूत कर रही योगी सरकार

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Varanasi: योगी सरकार ने पूर्वांचल की धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित और सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार अब वाराणसी मंडल के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सूफी संत स्थलों, जैन तीर्थों, वाल्मीकि आश्रमों, कबीरपंथ से जुड़े स्थलों और गुरुद्वारों को चिन्हित कर उनका समग्र विकास कराएगी। यह पहल धार्मिक सौहार्द, सांस्कृतिक पर्यटन और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के साथ-साथ क्षेत्र के आर्थिक विकास का भी माध्यम बनेगी।
योगी सरकार पूर्वांचल की समृद्ध सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक  विरासत को नया जीवन देने जा रही है। उप निदेशक पर्यटन राजेंद्र रावत ने बताया कि इस योजना के तहत सूफी संत स्थलों, जैन तीर्थों, वाल्मीकि आश्रमों, कबीरपंथ से जुड़े स्थलों और गुरुद्वारों के चिन्हित स्थलों पर बुनियादी ढांचे का विकास व सौंदर्यीकरण किया जाएगा, जिसमें सड़क संपर्क मार्ग , पेयजल, सफाई सुविधाएं, प्रकाश व्यवस्था,परिक्रमा पथ आदि शामिल है। साथ ही इससे जुड़े यदि कोई तालाब हुए तो उनका भी जीर्णोद्धार किया जायेगा। इसके अलावा इन स्थलों से जुड़ी ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारी को प्रदर्शित करने के लिए साइनेज लगाए जाएंगे। स्थानीय कला और शिल्प को बढ़ावा देने के लिए दुकानें और प्रदर्शन स्थल भी बनाए जा सकते हैं। उप निदेशक ने बताया कि  वाराणसी मंडल के चार जिलों वाराणसी ,जौनपुर ,ग़ाज़ीपुर और चंदौली में इस कार्ययोजना के लिए जिला संस्कृति विभाग और जिलाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। चिन्हित स्थलों की सूचनाएं 10 जून तक मांगी गई है।
योगी सरकार की यह पहल पूर्वांचल के सांस्कृतिक परिदृश्य को नया आयाम देगी। आर्थिक समृद्धि लाएगी और समाज में सद्भाव-सहिष्णुता को बढ़ावा देगी। इन विकास कार्यों से यूपी का धार्मिक पर्यटन विश्व के मानचित्र पर और प्रमुख से दिखाई देगा। सरकार का यह दूरदर्शी कदम है, जो राज्य के लिए उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस पहल से कई ऐसे स्थल, जो अब तक उपेक्षित थे, उन्हें पहचान मिलेगी और नई पीढ़ी अपने इतिहास से जुड़ सकेगी। विविध धार्मिक समुदायों के तीर्थ स्थलों के विकास से क्षेत्र में घरेलू व अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे होटल, रेस्टोरेंट, स्थानीय हस्तशिल्प,पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों के ज़रिए स्थानीय युवाओं को नए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
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