Varanasi: योगी सरकार ने गठिया के पीड़ितों के लिए काफी बड़ी पहल की है. वाराणसी में महज एक रुपये में गठिया संबंधित रोगाों का इलाज किया जा रहा है. यह सुविधा वाराणसी के आयुर्वेद कॉलेज में शुरू हो चुकी है. यहां सस्ता और कारगर इलाज मिलने के कारण 7 महीने में 5911 मरीज इलाज करा चुके हैं. राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चौकाघाट में अर्थराइटिस ट्रीटमेंट एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर बनाया गया है। यह पूर्वांचल का पहला सेंटर है, जहां ओपीडी से लेकर शोध तक की व्यवस्था है.
2571 महिला व 3340 पुरुष रोगियों ने कराया इलाज
पहले की सरकारों द्वारा ध्यान न देने से हाशिये पर जा रही देश की प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को डबल इंजन सरकार ने प्रदेश में फिर से प्रचलन में ला दिया. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हमेशा से चिकित्सा व्यवस्था को आमजन के लिए सुलभ करने के लिए प्रयास करती रही है. वाराणसी के राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के अर्थराइटिस ट्रीटमेंट एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर के नोडल अधिकारी प्रो. मनीष मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में अस्पताल की पूरी ओपीडी में लगभग 350 मरीज आते हैं.
इसमें गठिया विभाग की ओपीडी में 50 से 60 मरीज़ उपचार के लिए आ रहे हैं. गठिया के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चौकाघाट में ख़ास गठिया केंद्र बनाया गया है. यह पूर्वांचल का पहला सेंटर है, जहां पर ओपीडी से लेकर शोध तक की व्यवस्था है. मरीजों को गठियावात से संबंधित दवाइयों की सुविधा निशुल्क है। यहां आधुनिक उपकरणों के साथ भी इलाज किया जा रहा है. सितंबर 2024 से इसकी शुरुआत हुई थी, तब से 30 अप्रैल 2025 तक यहां 5911 मरीज आए. इनमें से 2571 महिला रोगी व 3340 पुरुष रोगी हैं.
1 रुपये में मिलता है परामर्श, दवा और इलाज
गठिया सेंटर में गठिया रोग से संबंधित 19 विशेष प्रकार की औषधियां निःशुल्क वितरण की जा रही हैं. साथ ही गठिया रोग में विशेष पंचकर्म एवं अन्य विशेष उपचार जैसे नाड़ी स्वेद, कटिवस्ति, जानुवस्ति, ग्रीवा वस्ति, अग्नि कर्म, विद्ध कर्म, कपिंग, मर्म चिकित्सा द्वारा उपचार किया जा रहा है. रोगियों को नियमित योगाभ्यास एवं व्यायाम के साथ-साथ संतुलित एवं हितकर आहार संबंधी सलाह भी दी जा रही है. राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय, लखनऊ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप मे 2021 में सर्वप्रथम गठिया उपचार केन्द्र की स्थापना की गई. उससे जनसामान्य को होने वाले लाभ को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 8 शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय मे इसे प्रारंभ कर दिया है.
अव्यवस्थित दिनचर्या और खानपान से बढ़ रहे मरीज
प्रो. मिश्र ने बताया कि गठिया की बीमारी पहले ज्यादातर लगभग 60 से ज्यादा आयु वालों को होती थी, लेकिन रहन सहन, खानपान और अव्यवस्थित दिनचर्या के कारण गठिया के लक्षण 40 वर्ष के उम्र के आसपास से ही लोगों को परेशान करने लगा है. यहीं कारण है कि इसके मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.