Reporter
The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
सीकर/राजस्थान। एम.के. ग्रुप ग्लोबल एजुकेशन के 22वें वार्षिक उत्सव “नई उमंग” में आयोजित युवा सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि “शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिससे हम समाज, राष्ट्र और मानवता को सशक्त बना सकते हैं।” उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 इस केंद्रीय सरकार की दूरदर्शी पहल है, जिसने बच्चों के जीवन में खेल, विज्ञान, संगीत, कला और सृजनात्मकता को शिक्षा का अभिन्न अंग बना दिया है।
संस्कार माता-पिता से मिलते हैं- डॉ. शर्मा
डॉ. शर्मा ने कहा कि “संस्कार माता-पिता से मिलते हैं, इसलिए हमारी माटी, हमारी बोली और हमारे रीति-रिवाजों को हमेशा याद रखना चाहिए। हमारी संस्कृति जोड़ने की है ,मोतीचूर के लड्डू की भाँति, जिसमें अनेक दाने मिलकर एकता का स्वाद देते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि मानसिकता अंग्रेज़ी नहीं, भारतीय होनी चाहिए।हम मोमबत्ती जलाकर अंधकार फैलाने वाली संस्कृति नहीं, बल्कि दीप प्रज्ज्वलित कर ज्ञान और प्रकाश बाँटने वाली परंपरा के वाहक हैं। दर्शन और प्रदर्शन में यही अंतर है। डॉ. शर्मा ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि “गुणों को ग्रहण करना चाहिए और मातृशक्ति का सम्मान ही सच्चा संस्कार है।” “हमारी सभ्यता, परिवेश और संस्कृति का कोई मुकाबला नहीं है— यह हमारी पहचान और हमारी शक्ति दोनों है।”
बच्चों को समय दें और उनके साथ स्नेहपूर्वक करें संवाद
उन्होंने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे बच्चों को समय दें और उनके साथ स्नेहपूर्वक संवाद करें। विकसित भारत 2047 के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि “नई शिक्षा नीति इस रोडमैप का सबसे मजबूत आधार है। हर घर में स्वदेशी उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देना ही स्वदेश का सम्मान है। जीएसटी में छूट इस दिशा में एक महत्वपूर्ण सहायक कदम है। डॉ. दिनेश शर्मा जी ने सीकर की हजारों की संख्या में आई जनता को संबोधित करते हुए कहा कि —“आप वीर भूमि के निवासी हैं।परिवार के बड़े बुजुर्ग का सम्मान हमारी प्रगति के लिये सबसे जरूरी है, हमारे चूल्हे में परिवार का भाव बसता है।बुजुर्ग अपने बच्चों को राजस्थान की वीर भूमि की कहानियाँ सुनाते रहिए। हमारी संस्कृति महान है और आपने उसे अपनी कर्मभूमि से सींचा है।”
बच्चों को नहीं बनाना चाहिए किताबी कीड़ा
उन्होंने कहा कि बच्चों को किताबी कीड़ा नहीं बनाना चाहिए, उन्हें खेलने, संस्कार, संस्कृति, समाज का अनुभव करने और सीखने का अवसर देना चाहिए। यदि सरकारी स्तर पर प्रतियोगी परीक्षा और हाई स्कूल-इण्टरमीडिएट का कोर्स हो तो“कोचिंग की आवश्यकता नहीं होगी, सरकार को प्रशिक्षण देना चाहिए और सेवानिवृत्त अनुभवी लोग सेवा भावना से इसमें योगदान दें।” उत्तर प्रदेश में अभ्युदय कोचिंग एक नया प्रयोग है जिसमें निशुल्क पठन-पाठन की व्यवस्था की गई है। कार्यक्रम में विप्र फाउंडेशन के पवन पारीक, वरिष्ठ नेता भवानी सिंह राठौड़, ओ पी मिश्रा, मनीष ढाका, महावीर ढाका, शिक्षा विभाग एवं जिला प्रशासन के तमाम अधिकारी उपस्थित थे।