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महापुरुष जिस कुल में उत्पन्न होते हैं, उस कुल के सभी व्यक्ति बन जाते हैं परमात्मा की प्राप्ति के अधिकारी: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, महापुरुषों के प्रति परम श्रद्धा अर्जन कीजिये-महापुरुषों की महिमा का वर्णन नहीं हो सकता। महापुरुष जिस कुल में उत्पन्न होते हैं, उस कुल के सभी व्यक्ति परमात्मा की प्राप्ति...

पुण्यकर्म और ईश्वर की आराधना है जीवन का असली उद्देश्य : दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पहली और आखिरी बात- सबसे पहली और सबसे आखरी बात तो एक ही है- एक भी क्षण हमारे-आपके जीवन का प्रभु की पवित्र तथा मधुर-मधुर स्मृति से रहित नहीं...

जिसके पास बैठने मात्र से शान्ति का अनुभव हो, वही है सच्चा संत: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चिन्ता नहीं चिन्तन- श्रीनारदजी भगवान के परम भक्त हैं। भगवान के दास हैं। वे उदास कभी नहीं रहते। भगवान का दास होकर उदास रहे तो फिर भक्ति और विश्वास...

मारुति के समान प्रामाणिक सेवक बनने की थी गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी महाराज की कामना: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तापत्रय विनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः।। श्रीकृष्ण को हम सब नमस्कार करते हैं। केवल कृष्ण को नहीं बल्कि श्रीकृष्ण को। श्री याने राधा, राधा वाले कृष्ण को हम सब नमस्कार...

प्रभु ने उनके द्वारा बनाये हुए संसार को सुखी करने के लिये किया मानव का सृजन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, इस संसार की रचना करने के बाद खुद प्रभु को चिंता हुई कि इस संसार को सुखी कौन करेगा? प्रभु ने बड़े-बड़े देव तथा ऋषियों से पूँछा कि क्या...

सम्पूर्ण प्रकृति की सेवा करने के लिए प्रभु ने हमें दिया है यह शरीर: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यह शरीर जीवात्मा का घर है। यह प्रभु का दिया हुआ है, तो भी इसके मालिक बनने का बहुत लोग दावा करते हैं। मां कहती है, शरीर को मैंने...

जिसकी आंखें देह में रहते हुए देव को देख सकती हैं, वही कर सकता है परोपकार: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, देव को लेकर ही देह की शोभा है। देह में से देव के चले जाने पर, जो लोग आइये-आइये कहकर बुलाते थे, वही लोग देह को घर से बाहर...

व्यवहार में पाप न हो, इसलिए घर के लोगों में भगवान को देखने की रखनी चाहिए भावना: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिसे सबमें भगवान के दर्शन करने की कला सीखनी हो, उसे सबसे पहले मूर्ति में भगवान को देखने की आदत डालनी चाहिए। पीछे घर के लोगों में भगवान को...

जीवन-मरण सुधारना है तो परमात्मा के साथ जोड़ो सम्बन्ध: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवत्भक्ति- भगवत्प्रेम जब बढ़ता है, तब जगत भी भुला जाता है, ' अहम् ' भी भुला जाता है और सिर्फ भगवान ही याद रहते हैं। ऐसी स्थिति पर पहुँचने...

श्रीरणछोड़ दास जी महाराज श्रीपयहारीजी के प्रति रखते थे गुरु भाव: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गुरुतत्व की महिमा- श्रीनाभागोस्वामीजी ने श्रीभक्तमालजी में गुरु जी की परिभाषा सबसे पीछे किया। क्यों कि गुरु का अर्थ होता है भारी, वजनदार। गुरुतत्व वो तत्व है, जिसके सामने...
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