Divya morari bapu

सूर्य बन कर आपके जीवन को विकास की ओर ले जाते हैं सद्गुरु: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज हमारा आपका महत्वपूर्ण कार्य है एकता का। अतः हमारे परिवार, समाज सबमें एकता होनी चाहिए, जिससे राष्ट्र सशक्त हो सके। इतना निश्चित है कि जैसे-जैसे देश में समाज...

प्रकृति के गुणों से वशीभूत होकर जीव कर्म करने के लिये है मजबूर: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रकृति के गुणों से वशीभूत होकर जीव कर्म करने के लिये मजबूर है, जब तक शरीर है, कर्म होते ही रहते हैं, कर्म से बचने का उपाय नहीं है...

सद्गुरु की कृपा से दूर होता है अज्ञान: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पहले ज्ञान की पूजा होती है। गजानन को प्रकट करना, ज्ञान को प्रकट करना है और ज्ञान को प्रकट करने के लिये ये सत्संग है। ये हरि कथा है।...

ब्रह्मचर्याश्रम में विद्या, गृहस्थाश्रम में धन कमाना है हमारा कर्तव्य: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, द्रव्य उपार्जन करना सरल है। पुरुषार्थ करना कुदरत की देन है। परन्तु द्रव्य उपार्जन के लिए संघर्ष करना और सफल होकर उसी द्रव्य का वितरण करना कठिन है। चार...

द्वैत की प्रतीति नष्ट होते ही समाप्त हो जाता है दुःख: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान प्रहलाद को कुछ मांगने की बात कहते हैं। बार-बार विनती करते हैं पर प्रह्लाद टाल देना चाहता है। वह कहता है प्रभु मैं सौदागर नहीं हूं। तो भगवान...

मानव का साध्य केवल एक ही है मोक्ष: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण में इस प्रकार संकेत किया गया है कि- हे ईश्वर ! यह शरीर तेरा मंदिर है, अतः मैं इसे हमेशा पवित्र रखूंगा। आपने मुझे यह हृदय दिया...

कर्म के फल में नहीं होनी चाहिए आसक्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोळऽस्त्वकर्मणि।। इसका अर्थ ऐसा नहीं है कि आप फल को न चाहो और कर्म करते रहो। ऐसा अर्थ अगर करोगे तो मुश्किल...

सत्य नहीं साधन है कर्म द्वारा प्राप्त फल: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रसंलब्ध्वा आनंदो भवति। जहां रस है वहां आनंद की प्राप्ति होती है। जहां रस आता है वहां आनंद आयेगा ही और जहां रस आता है वहां मन लगाना नहीं...

अपना अहंकार निवृत्त करके प्रभु चरणों में अर्पित होना ही है आत्मनिवेदन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, "मैं बंधा हुआ हूं " ऐसा सोचना ही सबसे बड़ा अज्ञान है। इसलिए ' मैं मुक्त हूं ' ये ज्ञान है। उसकी अनुभूति का नाम ही मुक्ति है। मुक्ति...

कलिकाल में कीर्तन मात्र से भगवान की हो जाती थी प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विश्वास से ही दुनियां चलती है। भरोसा जीवन का आधार है। हम लोग कलिकाल को दोष देते हैं लेकिन भागवत में इसी कलिकाल का लाभ भी बताया है। कलिकाल...
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