Divya morari bapu

तप से होती है इंद्रियों की शुद्धि: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कालेन स्नानशौचाभ्यां संस्कारैस्तपसेज्या। शुध्यन्ति दानैः सन्तुष्ट्या द्रव्याण्यात्माऽऽत्मविद्यया।। समय पाकर भूमि की शुद्धि होती है. यह आवश्यक नहीं कि जो भूमि अपवित्र है, वह सदैव अपवित्र रहेगी. जिस भूमि पर...

निष्काम भक्ति से ईश्वर की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य मथुरा में हुआ. भगवान गोकुल पधारे, भगवान का उत्सव-महोत्सव नंद बाबा ने गोकुल में मनाया. आध्यात्मिक दृष्टि से मथुरा अर्थात् भक्त का हृदय. भजन...

भगवान शंकर की पूजा उपासना में ध्यान का है विशेष महत्व: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव के सिर पर गंगा जी विराजमान है। भगवती भागीरथी गंगा भक्ति स्वरूपा हैं। शिव भक्ति मार्ग के आचार्य हैं। भगवान शिव साक्षात भगवान है, लेकिन स्वयं अपने...

ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से क्षय रोग हो जाता है ठीक: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन पूजन अथवा घर बैठे उनका स्मरण कर लेना, एकादश रुद्र और द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्मरण विशेष फलदायी है. द्वादश ज्योतिर्लिंग - वर्ष में बारह मास...

माता-पिता की सेवा से द्वादश ज्योतिर्लिंगों की यात्रा का मिलता है फल: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, समस्त तीर्थो की यात्रा करने से जो फल मिलता है. द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा से गंगा आदि नदियों के स्नान से जो फल मिलता है, वह सब फल माता-पिता...

सूर्य और चंद्र के समान हैं भगवान शंकर के नेत्र: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जल हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है, जल ही जीवन है. परन्तु इसके तीन रूप हैं, बर्फ पानी और वाष्प. भगवान शंकर में यह तीनों रूप दिखाई पड़ता...

पुरुषार्थ के मुर्तमान स्वरूप हैं भगवान कार्तिकेय: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव विश्वास के मूर्तमान स्वरूप है और माता पार्वती मूर्तिमान श्रद्धा स्वरूपा हैं. भगवान शिव समाधि में थे और माता पार्वती ने साधना पूर्ण कर लिया था. उसी...

हम सबके द्वार पर उपस्थित हैं घट-घट में बसने वाले शिव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव की अद्भुत बरात का वर्णन है, ऐसी बारात सृष्टि के इतिहास में कभी नहीं निकली. शिव बारात में समस्त देवता शामिल थे, दानव, मानव, भूत, पिशाच, शाकिनी,...

सबसे पहले ओंकार की हुई थी उत्पत्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पृथ्वी तत्व है ब्रह्मा, जल तत्व है विष्णु ,अग्नि तत्व है रुद्र, वायु तत्व है महेश्वर और आकाश तत्व है शिव, ये पांच तत्व हो गये। भगवान शंकर के पांच...

कलयुग में भगवती दुर्गा और भगवान गणेश हैं प्रत्यक्ष देवता: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गणपति का स्मरण अनिवार्य है। गणपति का सबसे बढ़िया मंत्र है- ' ऊँ गं गणपतये नमः ' जब जब देवताओं पर संकट आये हैं  उन्होंने इसी मंत्र का जप किया...
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