Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शंकर ने कहा- अब, मैं इस धर्मरथ पर बैठकर त्रिपुरासुर का बध करूंगा, लेकिन उससे पहले मेरी एक शर्त है कि सभी देवता पशु-भाव को प्राप्त हो जाएँ और...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सनातन धर्म में पांच देव उपास्य है, यह सदैव ध्यान रखना। सर्वप्रथम गणपति का ही पूजन करना। आप किसी के भी पुजारी हों, अपने ईष्ट की पूजा करने से...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पार्वती मंगल- बुद्धि और ज्ञान का मिलन- भगवती महामाया पार्वती का शिव के साथ विवाह हुआ। हमारी- आपकी बुद्धि भी पार्वती ही है। जब बुद्धि का संयोग शिव के...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, त्रिपुरारी की करुणा प्रारब्ध बदलने में सक्षम- प्रारब्ध को मिटाने की अद्भुत क्षमता भगवान् शंकर में है। सभी देवता है लेकिन यदि प्रारब्ध के लिखे हुए को मेटना(बदलना)हो,वह भगवान...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कंटकेनैव कंटकम्- भगवान शिव ने श्रीशिवमहापुराण में भगवती सती को ज्ञानोपदेश देते हुए कहा है कि यह जगत बुरा नहीं है, बल्कि इस जगत को देखने वाले का मन...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति- जीवन में यदि भक्ति का विस्तार करना हो तो सभी से प्रेम करो और यदि ज्ञान बढ़ाना हो तो सभी का त्याग करो। सबके साथ प्रेम करके सबमें...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शब्द से अर्थ का बोध- आज के व्यक्ति को अपने कर्तव्य का पूर्ण रूपेण बोध नहीं है। हम लोग अपना क्या कर्तव्य है, इस बात को नहीं जानते। क्योंकि...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से परिपूर्ण है- श्रीशिवमहापुराण- शौनकादि ऋषियों ने सूत जी से प्रश्न किया, आप समस्त पुराणों के ज्ञाता हैं। आपने समस्त पुराणों और धर्मशास्त्रों का अध्ययन...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् श्रीकृष्ण का सभी के प्रति अद्भुत सद्भाव था। अपने प्रति स्नेह भाव या सेवा भाव रखने वाले के प्रति उनका यह भाव रखना स्वाभाविक था, किन्तु उनके अन्तर...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, उत्तानपाद के दो रानियां थीं। सुरुचि राजा की प्रिय रानी थी, जबकि सुनीति उपेक्षिता थी। एक दिन उत्तानपाद सुरुचि के पुत्र उत्तम को गोंद में लेकर बैठे थे। उसी...