Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बाल और प्राण- मक्खन में फंसे हुए बाल को यदि बाहर निकालना हो तो बिना किसी तकलीफ के खींचकर बाहर निकाला जा सकता है। परन्तु यही बाल अगर सूखे...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत के कथा प्रसंगों से मानव मात्र को भक्ति की सीख- उत्तरा के गर्भ का नाश करने के लिए अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा। उत्तरा प्रभु के शरण में आई...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, लोभ और संतोष- भागवत में कथा आती है कि हिरण्याक्ष का नाश करके बराहनारायण ने पृथ्वी का उद्धार किया. यह हिरण्याक्ष है सोने और संपत्ति पर आंख लगाने वाला लोभ...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संपत्ति और शांति- पैसा कमाना कठिन है, किंतु उसका सदुपयोग करना और भी कठिन है। पैसे का सही उपयोग करते रहोगे, तभी शांति मिलेगी। अन्यथा बिना सदुपयोग के लक्ष्मी...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रेम से समझाओ- आप अपनी सभी इंद्रियों को प्रेम से समझाकर विषयों के मार्ग से रोको और प्रभु के मार्ग में लगाओ। आंखों से कहो कि जगत के रूप...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वक्ता बनो- कथा सुनकर घर जाने के बाद वक्ता बनो एवं अपने मन को श्रोता बनाओ। फिर मन को प्रेम से समझाओ कि संसार में रस मत लो, क्योंकि...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन के गुरु बनो- योगी अपने मन को बलपूर्वक वस में करने का प्रयत्न करते हैं, परन्तु इससे वह पूरा बस में नहीं होता, बल्कि कभी-कभी तो बीच में...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान श्रीराधाकृष्ण का ही स्वरूप है. भागवत और भगवान में रंच मात्र भी अंतर नहीं है. भगवान की शब्दमयी मूर्ति भागवत महापुराण है. श्रद्धा पूर्वक कथा श्रवण करने...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कर्म में सावधानी! जीवन के हर क्षेत्र में सावधानी अति आवश्यक है। भजन में भी सावधानी अति आवश्यक है। सकाम भजन ईश्वर तक पहुंचने वाला नहीं होता है, वह...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रावण के बुरे कर्मों से परेशान होकर विभीषण जब श्रीराम की शरण में आये, तब श्रीराम ने उनका " आइए लंकेश ! " कहकर प्रेम से स्वागत किया और रावण-...