New Delhi: भारत में IT सेक्टर में तेजी से भर्तियां हो रही हैं. IT सेक्टर में भर्तियों में वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में तेजी आई है. इस दौरान टेक्नोलॉजी कंपनियों में कैंपस भर्तियां 25 प्रतिशत बढ़ी हैं. ये अधिकांश कैंपस भर्तियां बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में की जा रही हैं. साथ ही कोयंबटूर, उदयपुर, नागपुर, विशाखापत्तनम और इंदौर जैसे टियर-2 शहरों में प्लेसमेंट में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. बुधवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.
एआई प्रोफाइल की मांग में 27 प्रतिशत की हुई बढोत्तरी
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले इंजीनियरिंग, टेक्निकल और एआई प्रोफाइल की मांग में 27 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है. कंपनसेशन में 5 प्रतिशत का सुधार हुआ है. टेलैंट और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ कंपनी एडेको ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कंपनियां स्थिर, प्रबंधनीय भर्तियों को प्राथमिकता दे रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नए कर्मचारियों को केवल बेंच पर ही रहने देने के बजाय, उत्पादकतापूर्वक तैनात किया जा सके.
ट्रेन और फिर हायर मॉडल पर काम कर रही हैं ज्यादातर कंपनियां
रिपोर्ट के मुताबिक अब ज्यादातर कंपनियां हायर-एंड-ट्रेनिंग मॉडल की जगह ट्रेन और फिर हायर मॉडल पर काम कर रही हैं. एडेको इंडिया के निदेशक और व्यावसायिक प्रमुख, प्रोफेशनल स्टाफिंग, संकेत चेंगप्पा ने कहा कि IT भर्ती धारणा अभी भी पुनर्संतुलन के दौर में है, जो सतर्क होते हुए भी लक्ष्य-केंद्रित है. कंपनियां पैमाने की बजाय स्किल की गहराई को प्राथमिकता दे रही हैं और क्लाउड, डेटा और एआई-आधारित क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और साथ ही वर्कफोर्स की क्षमता को सक्रिय परियोजना पाइपलाइनों के साथ जोड़ रही हैं.
इंजीनियरिंग प्रतिभा बाजार के लिए हो तैयार
हालांकि कैंपस भर्ती में तेजी आई है लेकिन असली चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि इंजीनियरिंग प्रतिभा बाजार के लिए तैयार हो. चेंगप्पा ने आगे कहा कि इसी समस्या का समाधान करने के लिए हम IT कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी निकायों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि अनुकूलित अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग समाधान प्रदान किए जा सकें. वर्तमान में IT इंडस्ट्री AI भूमिकाओं, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, क्रॉस-डोमेन इंजीनियरों, एमएलओपीएस इंजीनियरों और डेटा इंजीनियरिंग में 45-50 प्रतिशत मांग-आपूर्ति के अंतर से जूझ रहा है.
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