जानिए चांद के दक्षिणी ध्रुव का रहस्य, ढाई सेकेंड के वक्त पर टिका है भारतीय वैज्ञानिकों का सपना

Mission Chandrayan-3: दुनिया में हर तरफ चंद्रयान-3 को लेकर चर्चा हो रही है. 23 अगस्त 2023, बुधवार की शाम 06:04 बजे, चंद्रयान-3 का लैंडर, चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड कर सकता है. इसकी लैंडिंग की प्रक्रिया को पूरा होने में 15 से 17 मिनट लग सकते हैं. लैंडिंग के पहले का कुछ मिनट हर भारतीय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इस पर ही पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई है.

अगर भारत का यह मिशन सफल रहा तो, चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा. ऐसे में एक सवाल है कि आखिर चांद्रमा के दक्षिणी छोर में ऐसा क्या रहस्य है कि वहां सभी देश पहुंचना चाहते हैं, लेकिन ऐसी क्या वजह है कि अब तक कोई देश वहां पहुंचने में सफल नहीं हो पाया.

क्या है चांद के दक्षिणी ध्रुव में
चांद का साउथ पोल, पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव की तरह ही है. जिस प्रकार पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव अंटार्कटिका में है और वो बहुत ठंडा इलाका है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहाड़ और गड्ढे हैं. इस पोल पर सूर्य की रोशनी बहुत कम पड़ती है. चांद के जिस भी क्षेत्र में सूर्य की रोशनी पड़ती है उन क्षेत्रों का टेंपरेचर लगभग 54 डिग्री सेल्सियस होता है और ठीक अंटार्कटिका की तरह, चांद का दक्षिणी ध्रुव भी सबसे ठंडा इलाका है.

बर्फ से ढका है ये क्षेत्र
इस मिशन में भारत ने चंद्रमा का दक्षिणी छोर चुना है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के ऑर्बिटरों पर रिसर्च के आधार पर कहा जाता है कि चांद का साउथ पोल बर्फ से ढका हुआ है और बर्फ के मौजूदगी का मतलब है कि दूसरे नेचुरल रिसोर्सेज भी हो सकते हैं. साल 1998 में नासा के एक मून मिशन के दौरान, साउथ पोल पर हाइड्रोजन के होने का पता लगाया था और हाइड्रोजन का होना उस इलाके में बर्फ होने का सबूत देता है.

क्यों नहीं पहुंच पाया कोई देश
चंद्रमा का साउथ पोल पहाड़ों और गड्ढों से ढका हुआ है. अगर कोई भी अंतरिक्ष यात्री चांद की दक्षिणी ध्रुव पर खड़ा होगा, तो उसे सूरज तिरछी रेखा पर दिखाई देगा. यहां सूरज की रोशनी बहुत कम पड़ती है और ज्यादातर हिस्सा अंधेरे में रहता है. दक्षिणी ध्रुव का टेंपरेचर माइनस 248 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. नासा ने दावा किया है कि चांद के साउथ पोल पर कई ऐसे क्रेटर्स हैं जो अरबों साल से अंधेरे में डूबे हुए हैं और यहां कभी सूर्य की रोशनी नहीं पड़ी.

चंद्रयान-3 का क्या है मकसद
चंद्रयान-3 का सबसे महत्तवपूर्ण मकसद विक्रम लैंडर को चांद के सर्फेस पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना है. चंद्रयान-3 का दूसरा मकसद है रोवर प्रज्ञान को चांद के सर्फेस पर चलाकर दिखाना. इसका तीसरा मकसद है साइंटफिक टेस्ट करना.

आखिरी 15 मिनट हैं सबसे अहम
साल 2019 में चंद्रयान -2 के लॉन्च होने से पहले के 15 मिनट काफी अहम साबित हुए थे. उस वक्त इसरो के अध्यक्ष रहे के. सिवन ने मिशन के फेल होने का कारण आखिरी के 15 मिनट को कहा था.हालांकि इसरो के प्रेजेंट अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल के साथ लैंडिंग में होने वाली सारी परेशानियों को रोकने के लिए सभी तरह के खास इंतजाम किए गए हैं और अगर थोड़ी परेशानी होती भी है तो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के लैंडर को सर्फेस पर लैंड कराने के लिए सभी सावधानियां बरती गई हैं.

यह भी पढ़ें-

Mission Moon: चंद्रयान 3 ने भेजी Moon से एक और वीडियो, लैंडिंग से पहले ISRO ने दिया बड़ा अपडेट

Latest News

BJP MLA डॉ. राजेश्वर सिंह ने स्मार्ट क्लास का किया लोकार्पण, महिला सशक्तिकरण और हरित विकास की कई घोषणाएँ कीं

लखनऊ/पीलीभीत: उत्‍तर प्रदेश में एनवायरमेंट वॉरियर्स संगठन द्वारा आज एक विकासोन्मुखी एवं पर्यावरण-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सरोजिनी...

More Articles Like This

Exit mobile version