Bhageshwar Dham: रास्ते से भटक रहे धीरेंद्र शास्त्री के भक्त, वजह जान रह जाएंगे दंग

Pandit Dhirendra krishna Shastri: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री विगत कुछ महीनों से काफी चर्चा में है. हाल ही में उनके कथा का आयोजन बिहार की राजधानी पटना, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में किया गया था. पं. धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसा कहा जाता है कि बागेश्वर सरकार पर भगवान हनुमान की कृपा है, जिसकी मदद से वो श्रद्धालुओं की समस्याओं का समाधान करते हैं. कई ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं जिसमे वो भक्तों के मन की बात कागज पर लिखते नजर आ रहे हैं. ऐसे में इन दिनों बागेश्व धाम के पता को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है. आइए आपको बताते हैं ऐसा क्यों.

बागेश्वर धाम को लेकर लोग कंफ्यूज
प्रसिद्ध कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री के धाम का नाम बागेश्वर धाम है, ये नाम कई लोगों को कंफ्यूज कर रहा है. दरअसल, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर सरकार का आश्रम है, लेकिन लोग उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में पहुंच रहे हैं. जहां पर पहुंचने के बाद उनको पता लग रहा है कि बागेश्वर धाम उत्तराखंड में नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में है. लोगों का कहना है कि गूगल पर सर्च करने पर बागेश्वर उत्तराखंड का जिला दिखाता है. जिस वजह से लोग यहां पर पहुंच रहे हैं. इस कंफ्यूजन के कारण लोग बागेश्वर कोतवाली या फिर वहां के प्रसिद्ध बागनाथ मंदिर पहुंच रहे हैं.

आते हैं प्रतिदिन सैकड़ों फोन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रसिद्ध बागनाथ मंदिर के पुजारी ने बताया कि हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोगों के कॉल आते हैं. लोग फोन कर के धीरेंद्र शास्त्री के आगामी कार्यक्रमों के बारे में पूछते हैं. इतना ही नहीं कई लोग तो देश के विभिन्न कोनों से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर के यहां पहुंच जाते हैं. यहां पर आने के बाद उनको पता लगा है कि वो गलत बागेश्वर आ गए जिसके बाद उनको तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

बागेश्वर कोतवाली में भी आते हैं भक्तों के फोन
उधर बागेश्वर कोतवाली के कोतवाल कैलाश सिंह का कहना है कि इंटरनेट की मदद से लोग यहां का नंबर निकाल कर कॉल करते हैं. उन्होंने कहा कि भक्त इंटरनेट पर बागेशवर धाम सर्च करते हैं. जिस वजह से उनको उत्तराखंड का बागेश्वर जिला दिखता है. जिस वजह से लोग कोतवाली के नंबर पर कॉल करते हैं और परेशान होते हैं. कोतवाल कैलाश सिंह ने बताया कि हर रोज दो- चार फोन आते ही हैं, साथ में कई भक्त तो यहां पहुंच जाते हैं. फिर पता लगता है कि उनके मध्य प्रदेश के छतरपुर जाना था. कोतवाल ने बताया कि कई बार भक्त दूर से आते हैं जिस वजह से पुलिस उनके खाने पीने का और रहने का इंतजाम करती है. बाद में उनको समझा कर वापस भेजा जाता है.

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