प्रदर्शनकारी छात्र जहां दिखें गोलियां चला दो… किसने दिया था सूट ए साइट का ऑर्डर, बांग्लादेश में बवाल मचाने वाला ऑडियो वायरल

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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 Bangladesh protests: बांग्लादेश में एक ऐसी ऑडियों रिकॉर्डिंग लीक हुई है, जिससे यह पता चलता है कि बांग्लादेश में ‘शूट एट साइट’ का ऑर्डर दिया था. दरअसल, इस ऑडियो रिकॉर्डिंग से पता चला है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पिछले साल सुरक्षा बलों को छात्र प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था, जिसके परिणामस्वरूप 1,400 लोग मारे गए थे.

बांग्‍लादेश में यह अशांति सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों से उपजी थी, जिसे लेकर कई लोगों का दावा था कि यह प्रणाली मेधावी उम्मीदवारों के साथ भेदभाव करती है.

जरूरत पड़ने पर करें किसी भी हथियार का इस्तेमाल

शेख हसीना के इस ऑडियो रिकॉर्डिंग की प्रमाणिता बीबीसी (British Broadcasting Corporation) ने पुष्टि की है, जिसमें बांग्‍लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हसीना एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी को घातक बल का प्रयोग करने का निर्देश देती सुनाई दे रही हैं. कथित तौर पर उन्होंने 18 जुलाई, 2024 की शाम को अपने आधिकारिक आवास, गणभवन से एक फोन कॉल के दौरान कहा कि जरूरत पड़ने पर किसी भी हथियार का इस्तेमाल करें. जहां भी मिलें, गोली चलाएं.

वहीं, कुछ ही घंटों बाद ढाका में अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां तैनात कर दी गईं. इसके साथ ही उन्होंने सैन्य-ग्रेड राइफलों से भीड़ पर गोलियां चला दीं. जानकारों के मुताबिक, बीबीसी द्वारा प्राप्त पुलिस दस्तावेज़ों से पांच विश्वविद्यालय क्षेत्रों और आस-पास के ज़िलों में लड़ाकू हथियारों के इस्तेमाल की पुष्टि होती है.

कैसे हुई विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत?

बता दें कि बांग्‍लादेश की हसीना सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली का विस्तार करने वाला कानून पारित करने के बाद ये विरोध प्रदर्शन भड़का था. इस दौरान छात्रों ने आवामी लीग पर राजनीतिक वफ़ादारों और चुनिंदा सामाजिक समूहों के पक्ष में योग्यता-आधारित उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ भेदभाव को संस्थागत बनाने का आरोप लगाया.

वहीं, इससे पहले साल 2018 में भी ऐसा ही विरोध प्रदर्शन हुआ था, लेकिन साल 2024 में इनका पैमाना अभूतपूर्व था, जिसने देश भर के छात्रों, शिक्षाविदों और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को आकर्षित किया. सरकार की हिंसक प्रतिक्रिया ने अशांति को और बढ़ा दिया.

हिंसा में मारे गए 1,400 से ज़्यादा लोग

वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के मुताबिक, जुलाई और अगस्त 2024 के बीच दमन के दौरान 1,400 से ज़्यादा लोग मारे गए, जबकि हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया. इस दौरान कई अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों ने तब से हिंसा की स्वतंत्र जांच की भी मांग की है.

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