मनचाहा वर पाने के लिए की जाती है माता सती की पूजा, जानें क्या है मान्यता

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Shardiya Navratri 2023: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. लोग इन नौ दिनों तक व्रत रखकर माता की विधि-विधान से पूजा करते हैं. मां कात्यायनी माता के नौ स्वरूपों में से एक हैं. इनकी पूजा छठवें दिन की जाती है. मां कात्यायनी का शक्तिपीठ पीठ मथुरा वृंदावन में स्थित है. नवरात्र में यहां दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं. आइए आपको बताते हैं माता का ये शक्तिपीठ कैसे बना और इस शक्तिपीठ से जुड़ी कुछ मान्यताएं.

मनचाहा वर पाने के लिए की जाती है माता सती की पूजा
मां कात्यायनी शक्तिपीठ श्री कृष्ण जन्म भूमि मथुरा से 12 किलोमीटर दूर वृंदावन में स्थित है. ये 52 शक्ति पीठों में से एक है. कहा जाता है यहां पर माता सती के केश गिरे थे. इसे उमा शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है. इस शक्तिपीठ से जुड़ी मान्यता ये है कि यहां राधा जी ने अपनी सखियों सहित श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए पूजा की थी. इसके बाद से ही कुंवारी लड़कियां इस स्थान पर मनचाहा वर पाने की कामना से पूजा करती हैं.

51 शरीर के हिस्सों से बने हैं शक्तिपीठ
जब भगवान शिव ने माता सती के मृत शरीर को लेकर तांडव शुरू किया तो पूरे ब्रम्हांड में हाहाकार मच गया. ये तांडव इतना भयंकर था कि देवता भी घबरा गए और सभी भगवान विष्णु की शरण में गए. भगवान विष्णु ने माता सता से माफी मांग कर अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के 51 हिस्से कर दिए. ये हिस्से धरती पर जहां-जहां गिरे वहां पर ये शिला में परिवर्तित होते गए. वहीं सती के मस्तिष्क का हिस्सा दो जगहों पर गिरा था. जिस वजह से 52 शक्तिपीठ माने जाते हैं. वृंदावन में यमुना किनारे स्थित इस स्थान पर माता सती के केश गिरे थे.

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