अनुच्छेद 370 पर SC का Kapil Sibal को सीधा जवाब, ‘जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं’

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Supreme Court On Article 370: जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के 4 साल पूरे हो चुके है. जम्मू कश्मीर के हालात तेजी से बदल रहे हैं. जन्नत विकास की रफ्तार में शामिल है. अब आम जनता तक सरकारी योजना का लाभ सीधा पहुंच रहा है.

इन सबके बीच कुछ लोग ऐसे हैं, जो अभी भी आर्टिकल-370 हटाने से दुखी हैं. आर्टिकल-370 हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. इसी मामले में 8 अगस्त दिन मंगलवार को भी सुनवाई हुई. कपिल सिब्बल ने अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक बताया.

इसे हटाना तो भूल ही जाइए: कपिल सिब्बल
आपको बता दें कि दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता मोहम्मद अकबर लोन की तरफ से पेश हुए. उन्होंने कोर्ट से कहा कि 370 में बदलाव नहीं किया जा सकता. इसे हटाना तो भूल ही जाइए. उनकी इस बात का जवाब देते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “आर्टिकल 370 खुद कहता है कि इसे खत्म किया जा सकता है. 5 जजों की पीठ में शामिल जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आर्टिकल 370 के क्लॉज (d) के अनुसार राष्ट्रपति इसमें मॉडिफिकेशन कर सकते हैं. अगर ये मॉडिफिकेशन किए जाते हैं तो इसकी प्रक्रिया क्या होगी?”

अनुच्छेद 370 को निरस्त करना ब्रेक्जिट की तरह: सिब्बल
इसके बाद कपिल सिब्बल कहा, “जब पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, तब किसी से रायशुमारी नहीं की गई. अनुच्छेद 370 को निरस्त करना ब्रेक्जिट की तरह ही एक राजनीतिक कदम था, जहां ब्रिटिश नागरिकों की राय जनमत संग्रह से ली गई थी. फिर क्या था सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल को दो टूक जवाब दिया. कोर्ट ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर ब्रेक्जिट जैसे जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं है. क्योंकि न्यायालय इस सवाल से जूझ रहा है कि क्या इसे निरस्त करना संवैधानिक रूप से वैध था. कोर्ट ने कहा कि भारत एक संवैधानिक लोकतंत्र है, जहां इसके निवासियों की इच्छा केवल स्थापित संस्थानों के माध्यम से ही सुनिश्चित की जा सकती है.

इसका जवाब देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि व्याख्या के मुताबिक, आप 370 में संशोधन नहीं कर सकते. आप संविधान सभा का स्थान नहीं ले सकते, जो चीज आप प्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते, वो अप्रत्यक्ष तौर पर भी नहीं कर सकते.

कपिल सिब्बल ने दी ये दलील
इसके बाद कपिल सिब्बल ने कहा, “यह कोर्ट ब्रेक्जिट को याद रखेगा. ब्रेक्जिट में जनमत संग्रह की मांग करने वाला कोई संवैधानिक प्रावधान इंग्लैंड में भी नहीं था. सिब्बल ने साफ तौर पर कहा कि अगर आप किसी रिश्ते को तोड़ना चाहते हैं, तो आपको लोगों की राय लेनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि इस निर्णय के केंद्र में लोग हैं, ना कि केंद्र सरकार. सिब्बल की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में ब्रेक्जिट जैसे जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं. हम खुद देख रहे हैं कि आर्टिकल 370 हटाने में नियमों का पालन किया गया था या नहीं.

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