पाकिस्तान की तरह कंगाल हुआ अमेरिका, खाने के भी पड़े लाले, मुफ्त भोजन केंद्रों पर लगीं लंबी कतारें

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America become like Pakistan : वर्तमान में अमेरिका में ट्रंप के शासन का हाल पाकिस्तान जैसा हो चुका है. क्‍योंकि अब पाकिस्‍तान की तरह अमेरिका में भी लोगों को खाने के लाले पड़ गए है. प्राप्‍त जानकारी के अनुसार वहां की हालत इस प्रकार हो गई है कि अमेरिका के बड़े-बड़े शहरों में भी मुफ्त का भोजन और खाद्यान्न पाने के लिए विभिन्न केंद्रों पर लंबी कतारें लग रही हैं. वैसे तो यह सुनकर आपको हैरानी होगी लेकिन सोशल मीडिरूा पर वायरल हो रहे वीडियो में आप साफ देख सकते हैं. बता दें कि अमेरिका का ऐसा हाल भारत, चीन समेत विभिन्न देशों से भारी टैक्स वसूली के बावजूद हो रहा है.

अचानक अमेरिका में आयी कंगाली

जानकारी देते हुए बता दें अमेरिका का यह हाल वहां लगे सरकारी शटडाउन के चलते हुआ है. सरकारी शटडाउन का मतलब है कि सरकार के पास विभिन्न मदों में खर्च करने के लिए खजाना खत्म हो जाना. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अक्‍टूबर से अमेरिका में शटडाउन लगा है. ऐसे में वहां के लोगों को बिना वेतन के ही काम करना पड़ रहा है. इस कारण अब उनके पास खाने-पीने तक के पैसे नहीं बचे हैं. ऐसे में खबर सामने आयी है कि अमेरिका में विभिन्न एनजीओ और समाजसेवी कर्मचारियों और भूखे लोगों की मदद के लिए सामने आ रहे हैं.

खाद्य वितरण केंद्रों और दुकानों पर मुफ्त का भोजन

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका का हाल ऐसा हो गया है कि यहां सरकारी ‘शटडाउन’ के कारण संघीय सरकार ने ‘सप्लीमेंटल न्यूट्रिशन असिस्टेंस प्रोग्राम’ (एसएनएपी) पर रोक लगा दी है, और इसके बाद खाद्य वितरण केंद्रों और दुकानों पर मुफ्त का भोजन और किराने का सामान लेने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगने लगी हैं. इन तस्‍वीरों को देखकर पाकिस्‍तान की याद आती है. जब 1 साल पहले पाकिस्तान में आटे-चावल और दाल के लिए इसी तरह की लंबी-लंबी कतारें लग रही थीं.

अमेरिका में एनजीओ ने लोगों की मदद की

बता दें कि अमेरिका में भोजन के लिए तड़प रहे लोगों की मदद के लिए अलग-अलग जगह से एनजीओ सामने आए हैं, कि उन्‍हें मुफ्त का खाना और भोजन उपलब्‍ध करा सकें. बता दें कि न्यूयॉर्क के ब्रॉन्क्स इलाके में ‘वर्ल्ड ऑफ लाइफ क्रिश्चियन फेलोशिप इंटरनेशनल पैंट्री’ में सामान्य से लगभग 200 अधिक लोग पहुंचे. ताकि वे फलों, सब्जियों, ब्रेड, दूध, जूस, सैंडविच आदि सामान हासिल कर सकें.

अमेरिकी स्वयं सेवक महिला मार्टिन ने कहा

इस मामले को लेकर अमेरिकी स्वयं सेवक महिला मार्टिन का कहना है कि ‘‘अगर मेरे पास यह पैंट्री न होती, तो मुझे नहीं पता हम कैसे जीते.’’ इसके साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि ‘‘मैं अपने पोते-पोतियों को कष्ट में नहीं देख सकती.’’ प्राप्‍त जानकारी के अनुसार कुछ ही देर बाद दो संघीय न्यायाधीशों ने प्रशासन को भुगतान करने का आदेश दिया. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं था कि फैसले के बाद लाभार्थियों के डेबिट कार्ड में पैसा कब डाला जाएगा, ऐसे में कई लाभार्थियों में डर और भ्रम फैल गया. एसएनएपी के तहत लगभग 4.2 करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाती है.

जानकारी के मुताबिक, इस कार्यक्रम पर रोक ने कई लोगों की आर्थिक कमजोरियों को उजागर किया है. ‘शटडाउन’ तब लागू होता है जब सरकारी खर्चों के लिए पैसा खत्म हो जाता है. बता दें कि संसद से पैकेज को मंजूरी दिलानी होती है और ऐसा नहीं होने पर ‘शटडाउन’ लागू हो जाता है.

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