Islamabad: पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों से देश की सरकार और सेना का नियंत्रण घटता जा रहा है. दोनों सूबों में कई ऐसे इलाकें है जहां बीएलए और विद्रोही गुटों ने कब्जा कर लिया है. पाकिस्तान के सीनेटर कामरान मुर्तजा ने देश की ससंद में ये खुद स्वीकार किया है. संसद में कामरान ने कहा कि बलूचिस्तान और खैबर पख्बूनख्वा में ज्यादातर इलाके ऐसे हैं, जहां पूरी तरह से विद्रोही ऑपरेट कर रहे हैं और सुरक्षा बल इन जगहों पर असहाय हैं.
कोई भी पाकिस्तानी मंत्री, सांसद सड़क मार्ग से नहीं कर सकता है यात्रा
कामरान के इस भाषण को बलूच नेताओं और विद्रोहियों ने अपनी जीत की तरह पेश किया है. कामरान मुर्तजा ने संसद में सवाल किया कि क्या सच में बलूचिस्तान में पाकिस्तान का शासन रह गया है. बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में पाकिस्तानी सेना का नियंत्रण केवल पांच किलोमीटर के दायरे तक सिमट गया है. कोई भी पाकिस्तानी मंत्री, सांसद सड़क मार्ग से यात्रा नहीं कर सकता है, क्योंकि इन पर विद्रोही गुटों के लड़ाके कब्जा किए बैठे हैं. नेशनल असेंबली और सूबों के चुने हुए लोग तक इन सड़कों से नहीं चल सकते हैं तो पाकिस्तानी सरकार और सेना को जाग जाना चाहिए.
पाक आर्मी की मुश्किल बढ़ी
पाकिस्तानी सेना की बलूचिस्तान और खेबर पख्तूनख्वा में विद्रोहियों से लड़ाई नई नहीं है. पाकिस्तान दशकों से इस इलाके को पूरी तरह अपने नियंत्रण में लेने के लिए संघर्ष कर रही है. हालिया दिनों में इस क्षेत्र के नेताओं की ओर से ऐसे बयान आए हैं, जिनसे लगता है कि पाक आर्मी की मुश्किल बढ़ी है. कुछ समय पहले बलूचिस्तान के लक्की मरवत के नेता शेर अफजल मरवत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके क्षेत्र के बड़े हिस्से पर तलिबान का कब्जा है.
लंबे समय से अस्थिरता के दौर से गुजर रहा बलूचिस्तान
बलूचिस्तान लंबे समय से अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. प्रांत में बलूच लिबरेशन आर्मी बीएलए समेत कई गुटों ने पाक सेना और सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह छेड़ रखा है. ये गुट स्थानीय लोगों के लिए ज्यादा अधिकारों की मांग कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना इनको दबाने की कोशिश में है लेकिन उनको बहुत कामयाबी मिलती नहीं दिखी है.
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