Bangladesh election symbol controversy: बांग्लादेश में अगले साल चुनाव होने वाला है, जिसकी तैयारियों में देश की सभी पार्टियां जुटी हुई है. इस बीच चुनाव चिन्ह को लेकर एक बड़ी पार्टी ने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया है. दरअसल, नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने चेतावनी दी है कि यदि उसे शापला (वाटर लिली यानी नील कमल) चुनाव चिन्ह नहीं दिया गया तो अगले साल होने वाले चुनावों पर इसके दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, यह टिप्पणी चुनाव आयोग के उस हालिया निर्देश के बाद आई है जिसमें एनसीपी को 50 विकल्पों में से अपना चुनाव चिन्ह चुनने को कहा गया था. इन विकल्पों में पार्टी की तरफ से मांगा गया “शापला” शामिल नहीं था.
सड़कों पर होगा खून-खराबा
एनसीपी के मुख्य समन्वयक नसीरुद्दीन पटवारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती है, तो पार्टी लोकतांत्रिक तरीकों से एक स्वतंत्र और संवैधानिक चुनाव आयोग बनाने की दिशा में काम करेगी. उन्होंने कहा कि यदि एनसीपी को शापला चिन्ह नहीं मिलता है, तो इसका चुनाव पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा. एक स्वतंत्र आयोग के बिना निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकते. यदि चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे, तो सड़कों पर खून-खराबा होगा. लेकिन हम इससे बचने की कोशिश करेंगे. अगर हम मुश्किल में पड़ गए, तो हमारे पास विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.”
राजनीतिक रूप से जारी रखेंगे अपनी लड़ाई
पटवारी ने कहा, “अगर हमें इस अधिकार से वंचित किया जाता है, तो हम लोकतांत्रिक तरीके से एक स्वतंत्र और संवैधानिक चुनाव आयोग बनाने के लिए काम करेंगे. हम अपनी मांगों को पूरा करने से पीछे नहीं हटेंगे और राजनीतिक रूप से अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. ”
एनसीपी ने चुनाव आयोग से की ये अपील
इसके अलावा, एनसीपी के मुख्य संयोजक सरजिस आलम ने कहा कि पार्टी आगामी चुनाव शापला चुनाव चिन्ह के तहत लड़ेगी. उन्होंने चुनाव आयोग से एनसीपी को शापला सिंबल देने से इनकार करने के बजाय अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया. सरजिस ने कहा कि एनसीपी को यह चुनाव चिन्ह प्राप्त करने से रोकने वाली कोई कानूनी बाधा नहीं है.
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