बांग्लादेश में फिर गरमाई सियासत, छात्र समूहों ने ‘जुलाई डेक्लेरेशन’ का किया बहिष्कार

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Bangladesh july uprising: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने मंगलवार को ‘जुलाई डेक्लेरेशन’ समारोह आयोजित कर रही है.  इस बीच, जिन छात्र संगठनों ने शेख हसीना सरकार को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन चलाया था, उन्होंने ही इस समारोह का बहिष्कार कर दिया है. दरअसल, संगठनों का कहना है कि एक साल से भी कम समय में उनका ‘साहस बेकार’ हो गया, क्योंकि सभी छात्रों को इस समारोह में बुलाया ही नहीं गया.

दरअसल, मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग ने शनिवार को पुष्टि की कि यह कार्यक्रम मंगलवार को ढाका के माणिक मिया एवेन्यू में प्रस्तावित है. इसमें बताया गया है कि चार्टर को पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शनों में शामिल सभी पक्षों की मौजूदगी में पूरे देश के सामने पेश किया जाएगा.

मसूद ने बहिष्कार का किया ऐलान

‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ (एसएडी) के समन्वयक और नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ संयुक्त मुख्य समन्वयक अब्दुल हन्नान मसूद ने सोशल मीडिया पर कहा कि वे इस कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे. उन्‍होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘फेसबुक’ पर लिखा कि “मैंने सुना है कि इस सरकार ने जुलाई विद्रोह के वैध समूह के 158 समन्वयकों और सह-समन्वयकों को आमंत्रित नहीं किया है. शायद उन्होंने कुछ लोगों को बुलाया होगा, लेकिन 158 लोगों के लिए जगह नहीं बनाई गई.”

उन्‍होंने आगे कहा कि “जिन लोगों की हिम्मत और नेतृत्व से यह तख्तापलट हुआ और यह सरकार बनी, वे एक साल से भी कम समय में बेकार हो गए हैं. अगर मेरे साथी जो हसीना को हटाने के लिए आंदोलन चलाते रहे, उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता जिसके वे हकदार हैं, तो मैं अब्दुल हन्नान मसूद व्यक्तिगत रूप से कल होने वाले जुलाई घोषणा कार्यक्रम का बहिष्कार करूंगा. ”

जुलाई घोषणापत्र पर नहीं हुई चर्चा

वहीं, छात्र संघ के महासचिव सैकत आरिफ ने भी कहा कि उन्होंने इस कार्यक्रम में हिस्सा न लेने का फैसला किया है. प्रमुख बांग्लादेशी अखबार जुगांतर ने सैकत आरिफ के हवाले से कहा कि “सरकार ने छात्र संगठनों के साथ जुलाई घोषणापत्र पर चर्चा नहीं की है. पिछले एक साल में उसने कोई बैठक भी नहीं की. इसके बजाय, उसने भेदभाव-विरोधी कार्यकर्ताओं के एक खास समूह को तख्तापलट का नेतृत्वकर्ता बताकर बाकी छात्र संगठनों के साथ अन्याय किया है.  इससे अंतरिम सरकार की निष्पक्षता कमजोर हुई है, इसलिए हम उस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे.”

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