Shangri-La Dialogue 2025: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान आज सिंगापुर में शुरू हो रहे शांगरी-ला डायलॉग 2025 में भाग लेंगे. अंतरराष्ट्रीय सामरिक अध्ययन संस्थान की ओर से आयोजित शांगरी-ला वार्ता को सबसे बड़े रक्षा मंचों में से एक माना जाता है. इस डायलॉग में 40 से ज्यादा देशों के सैन्य अधिकारी हिंद-प्रशांत सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करेंगे.
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को घुटने के बल लाने के बाद भारत अब पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब कर रहा है. भारत के सात प्रतिनिधिमंडल दुनिया भर के देशों में जाकर पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को बेनकाब कर रहे हैं. इसी बीच सीडीएस अनिल चौहान भी सिंगापुर पहुंचे हैं.
शांगरी-ला डायलॉग है बेहद अहम
शांगरी-ला डायलॉग एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में से एक है. यह एक वार्षिक रक्षा सम्मेलन है, जिसमें विभिन्न देशों के रक्षा मंत्री, सैन्य अधिकारी, नीति निर्माता, रणनीतिक विशेषज्ञ और थिंक टैंक के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. शांगरी-ला डायलॉग का मुख्य उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा और सुरक्षा मामलों पर खुले विचार-विमर्श को बढ़ावा देना है.
यह एक ऐसा मंच है जहां देश आपसी सहयोग, रणनीतिक मुद्दों, क्षेत्रीय तनावों और वैश्विक सुरक्षा खतरों पर चर्चा करते हैं. इस शांगरी–लॉ डायलॉग की शुरुआत 2002 में हुई थी और इसका नाम सिंगापुर के प्रसिद्ध ‘शांगरी-ला होटल’ के नाम पर रखा गया है, जहां हर साल इस सम्मेलन का आयोजन होता है. शांगरी-ला नाम मूलरूप से एक काल्पनिक स्वर्ग जैसे स्थान को संदर्भित करता है, जो शांति और संतुलन का प्रतीक है.
अहम क्यों है शांगरी-ला डायलॉग की भूमिका?
शांगरी-ला डायलॉग देशों के बीच विश्वास बढ़ाने और संवाद स्थापित करने का बड़ा प्लेटफॉर्म है. रूस-यूक्रेन युद्ध, दक्षिण चीन सागर में तनाव, ताइवान मुद्दा, साइबर सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला जैसे मुद्दों के वजह से इसकी भूमिका और भी अहम नजर आ रही है. यह मंच उन देशों के बीच आमने-सामने बातचीत का अवसर प्रदान करता है जिनके पास प्रत्यक्ष संचार की सीमित गुंजाइश है.
कितने दिनों तक चलेगा कार्यक्रम?
तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान सीडीएस अनिल चौहान ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इंडोनेशिया, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, यूके और यूएसए समेत कई देशों के रक्षा बलों के प्रमुखों और वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। इसके साथ ही सीडीएस चौहान शिक्षाविदों, थिंक टैंकों और शोधकर्ताओं को भी संबोधित करेंगे.
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