किसी काम का नहीं CPEC, जिसके लिए चीन से लिया लोन, अब वही ‘भूतिया रास्ता’ बना…

Must Read

China-Pakistan Economic Corridor : पूरी दुनिया को जिस बात का शक है, अब उसी पर पाकिस्तान के अपने ही इकोनॉमिस्ट ने मुहर लगा दी है. ऐसे में पहले बताया जा रहा था कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पाकिस्तान की किस्मत बदल देगी. लेकिन वहीं पाकिस्तान के जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. कैसर बंगाली ने इसका राज खोला और बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत कुछ खास निवेश नहीं आया. ऐेसे में ग्वादर पोर्ट भी आर्थिक रूप से कोई फायदा नहीं पहुंचा रहा है, जबकि एक समय ऐसा था कि जब इसे इस प्लान का ‘दिल’ बताया गया था.

ऐसे में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्‍होंने इतना तक कह दिया कि पाकिस्तान की इकोनॉमी दिन-ब-दिन डूबती जा रही है. इस मामले को लेकर कैसर बंगाली का कहना है कि “पहले CPEC को गेम-चेंजर कहा जा रहा था. फिर SIFC, ग्रीन इनिशिएटिव, उड़ान पाकिस्तान और अब मिनरल्स. उन्‍होंने कहा कि ये सिर्फ कहने की बातें हैं. इन सभी का कोई असली नतीजा नहीं है.

बनाने में अरबों डॉलर हुआ खर्च 

प्‍त जानकारी के अनुसार CPEC को 2013 में 46.5 बिलियन डॉलर के शुरुआती इन्वेस्टमेंट प्लान के साथ लॉन्च किया गया था. इसके साथ ही कुछ ही समय बाद समय के साथ और प्रोजेक्ट्स जुड़ने पर प्लान को बढ़ाकर 62 बिलियन डॉलर कर दिया गया. इस दौरान अब इकोनॉमिस्ट ने दावा करते हुए कहा कि असल में इससे कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट नहीं आया है. उन्होंने ये भी कहा कि ”लाहौर की ऑरेंज ट्रेन के अलावा, मुझे CPEC के तहत कुछ और ठोस नहीं दिख रहा है.” ऐसे में जब उनसे पूछा गया कि सीपीईसी के तहत वादा किए गए अरबों डॉलर कर्ज थे या निवेश? तो उन्होंने जवाब दिया और कहा कि ‘यह दोनों का मिश्रण था.

परिवहन नेटवर्क को मजबूत करना मकसद

दरअसल, चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) चीन के शिनजियांग से शुरू होकर उत्तरी पाकिस्तान के खुंजराब दर्रे से गुजरता हुआ बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक जाता है. बताया जा रहा है कि इसका मुख्‍य कारण है कि दोनों देशों के बीच परिवहन नेटवर्क को मजबूत करना. ताकि पाकिस्तान में भी निवेश के अवसर बढ़े और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो, इसके साथ ही आर्थिक विकास को गति मिले, उर्जा संकट को दूर करने में मदद मिले, लेकिन हकीकत में कुछ ठोस निकलकर सामने नहीं आया है. इतना ही नही बल्कि डॉ. बंगाली ने तो इसे ‘भूतिया रास्ता’ तक कह दिया है.

आर्थिक अंदरूनी को लेकर बंगाली ने बताई हकीकत

इसके साथ ही सिंध के मुख्यमंत्री के सलाहकार रह चुके बंगाली का कहना है कि ग्वादर एक ट्रांजिट या ट्रेड हब इसलिए नहीं बन सकता, क्योंकि इसका आर्थिक अंदरूनी इलाका 1,000 किलोमीटर से ज्यादा दूर है. उन्‍होंने हकीकत बताते और स्‍पष्‍ट करते हुए कहा कि “हमने 2008 में सिर्फ यह साबित करने के लिए गेहूं के तीन जहाज इंपोर्ट किए थे कि ग्वादर जिंदा है. उन्‍होंने ये भी बताया कि लेकिन वहां इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी और इसके बाद फिर गेहूं को ग्वादर से कराची लाया गया और सिर्फ इसे कराची ले जाने में ही 2 अरब रुपये खर्च हो गए. ऐसे में उनका कहना है कि अगर सामान सीधे कराची में उतार दिया होता, तो 2 अरब रुपये बच जाते.”

प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान के साथ मौजूदा हालात को देखते हुए अब यह देश पाकिस्तान के जरिए कुछ भी इम्पोर्ट नहीं करना चाहता. क्‍योंकि अब अफगानिस्तान चाबहार को पसंद करता है और चाबहार और अफगानिस्तान के बीच रेलवे लिंक का काम पूरा हो गया है.

 इसे भी पढ़ें :- बांग्लादेश की सड़कों पर उतरे हजारों हिन्दू, हिंसा के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन

Latest News

दिल्ली ब्लास्ट के बाद दक्षिण भारत में चल रही थी केमिकल अटैक की तैयारी, ISI की साजिश का पर्दाफाश!

New Delhi: दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास ब्लास्ट करने के बाद दक्षिण भारत में केमिकल अटैक...

More Articles Like This