China religious: चीन में धार्मिक स्वतंत्रता पर एक बार फिर सख्ती देखने को मिली है. दरअसल चीनी पुलिस ने देश के सबसे बड़े ‘अंडरग्राउंड चर्च नेटवर्क’ में से एक के 30 से ज्यादा पादरियों को हिरासत में ले लिया है. चर्च के प्रवक्ता और परिजनों के मुताबिक, चीन की यह कार्रवाई 2018 के बाद से ईसाइयों पर सबसे बड़ी सख्ती मानी जा रही है.
बता दें कि चीन में यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब चीन और अमेरिका के बीच दुर्लभ खनिजों के निर्यात नियंत्रण को लेकर तनाव बढ़ा है. हालांकि चीन के इस कदम का अमेरिका ने कड़ी निंदा की है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने तुरंत सभी पदरियों के रिहाई की मांग की है.
चर्च पर क्यों हुई कार्रवाई?
बता दें कि चीनी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए प्रमुख पादरियों में जिन मिंगरी (Jin Mingri) का नाम सबसे आगे है, जो ‘जायन चर्च’ (Zion Church) नामक एक स्वतंत्र हाउस चर्च के संस्थापक हैं. दरअसल, यह चर्च सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं है, इसलिए चीन की नजर में गैरकानूनी धार्मिक संगठन की श्रेणी में आता है. जिन मिंगरी को शुक्रवार शाम उनके घर से दक्षिणी शहर बेईहाई (Beihai) में गिरफ्तार किया गया.
150 से ज्यादा श्रद्धालुओं से पूछताछ
इसी बीच जिन मिंगरी की बेटी ग्रेस जिन और चर्च प्रवक्ता शॉन लॉन्ग ने बताया कि यह गिरफ्तारी इस साल की नई ‘धार्मिक दमन लहर’ का हिस्सा है. लॉन्ग के मुताबिक, हाल ही के महीनों में पुलिस ने 150 से ज्यादा श्रद्धालुओं से पूछताछ की है और रविवार की प्रार्थना सभाओं में भी बाधा डाली है.
हिरासत में 30 पादरी और चर्च के सदस्य
शॉन लॉन्ग के मुताबिक, देशभर में करीब 30 पादरी और चर्च के सदस्य गिरफ्तार किए गए है, हालांकि इनमें से पांच लोगों को बाद में छोड़ दिया गया, लेकिन 20 से अधिक अब भी जेल में हैं. वहीं, पुलिस ने इस मामले को लेकर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, जबकि चीन के गृह मंत्रालय ने भी पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिया.
धार्मिक संस्थानों को लेकर एक्शन में चीन
बता दें कि चीन में सभी धार्मिक संस्थानों को सरकारी पंजीकरण के तहत चलना होता है. जो चर्च या संगठन सरकारी निगरानी से बाहर काम करते हैं, उन्हें अवैध माना जाता है. खासतौर से हाउस चर्च यानी घरों में चलने वाले स्वतंत्र ईसाई समुदायों को लेकर सरकार काफी सख्त रुख रखती है. इसके पहले साल 2018 में भी बीजिंग के Zion Church पर पुलिस ने छापा मारा था, और उसके बाद से कई बार चर्च से जुड़े पादरियों को निगरानी और दबाव का सामना करना पड़ा है.
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