बांग्लादेश में सस्पेंड होगा संविधान! मोहम्मद यूनुस बन सकते हैं अंतरिम राष्ट्रपति, जानें पूरी रिपोर्ट

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Bangladesh: बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जुलाई की शुरुआत में यानी जुलाई घोषणापत्र में बड़ा ऐलान किया जा सकता है. इस ऐलान के ज़रिए देश में नई राजनीतिक व्यवस्था शुरू करने की तैयारी है. इसके लिए मौजूदा संविधान को अस्थायी रूप से निलंबित किया जा सकता है. साल 2024 में छात्र आंदोलन और जनविद्रोह के बाद ये प्रस्ताव सामने आया है, जिसने तत्कालीन पीएम शेख हसीना को इस्तीफा देने और देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया था.

संविधान को सस्‍पेंड करने की मांग के पीछे की वजह

बांग्लादेश की कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 1972 का संविधान अब बांग्लादेश में सुधार की सबसे बड़ी बाधा बन गया है. 5 अगस्त 2024 को जो जनआंदोलन हुआ था, उससे उम्मीद जगी थी कि व्यवस्था बदलेगी, लेकिन जमीनी बदलाव नहीं दिखा. देश में अब ये मांग उठ रही है कि जब तक एक स्थायी और निष्पक्ष सरकार नहीं बनती, संविधान को कुछ समय के लिए रोका जाए और एक अंतरिम सरकार गठित की जाए जो जरूरी सुधारों की दिशा में काम कर सके.

डॉ. यूनुस बन सकते हैं अंतरिम राष्ट्रपति

ड्राफ्ट प्लान के अनुसार, यदि संविधान को निलंबित किया गया, तो मोहम्मद यूनुस को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया जा सकता है. उनके साथ बीएनपी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान को मुख्य सलाहकार की भूमिका दी जा सकती है. इसके अलावा, जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख डॉ. शफीकुर रहमान को डिप्टी एडवाइज़र नियुक्‍त किया जा सकता है. ये सभी लोग मिलकर एक ऐसी सरकार बना सकते हैं जो सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए.

खालिदा जिया भी हो सकती हैं विकल्प

बीएनपी प्रमुख बेगम खालिदा ज़िया का नाम भी चर्चा में है. यदि डॉ. यूनुस को राष्ट्रपति नहीं बनाया गया, तो उनके नाम पर भी विचार किया जा सकता है. इस समय शाहबुद्दीन चुप्पु राष्ट्रपति पद पर हैं, लेकिन उन्हें केवल संवैधानिक संतुलन बनाए रखने के लिए रखा गया था. अब स्थिति बदल गई है, और उनके हटने की संभावनाएं भी हैं.

टल सकते हैं चुनाव

जुलाई डिक्लेरेशन में ये भी कहा गया है कि जब तक नई सरकार शपथ नहीं ले लेती, आने वाले चुनावों को थोड़ा टाला जा सकता है. नई सरकार का पहला काम होगा नया संविधान बनाना, पुरानी नौकरशाही में सुधार करना, टैक्स व्यवस्था से लेकर शासन में पारदर्शिता लाना. सूत्रों का मानना है कि अब भी कई सरकारी विभागों पर पुरानी फासीवादी सोच हावी है, जिसे हटाना आवश्‍यक है.

अधिकतर पार्टियां चाहती हैं बड़ा बदलाव  

संविधान को निलंबित करना बड़ा कदम है, इसलिए इस पर बहस भी हो रही है. लेकिन एक बात पर अधिकतर राजनीतिक दल सहमत दिखते हैं कि अगर देश को सही मायनों में लोकतांत्रिक बनाना है, तो बड़ा बदलाव जरूरी है. बांग्लादेश की इस अस्थायी सरकार के दो मुख्य चेहरे माने जा रहे हैं- मोहम्‍मद यूनुस और बेगम खालिदा जिया. अब देखना यह है कि इन दोनों में से कौन अगली सरकार की कमान संभालता है और बांग्लादेश आगे किस राह पर चलता है.

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