Delhi: गाजा में इन दिनों वायरस एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस से लकवे जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ गया है. यह वायरस भूख और कुपोषण से जूझ रहे बच्चे को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है. वहां न तो उन्हें सही समय पर पौष्टिक आहार और न ही उचित इलाज मिल पा रहा है. डॉक्टर भी इस बीमारी से लड़ने में हाथ पीछे कर रहे हैं.
गाजा में एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस ने पांव पसारा
माना जा रहा है कि इजराइली बमबारी की वजह से गाजा की सीवेज और स्वच्छता व्यवस्था ध्वस्त होना इसके लिए उतरदायी है. डॉक्टरों के मुताबिक, गाजा में एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस ने पांव पसार लिया है. इस रोग की वजह से मांसपेशियां अचानक कमजोर हो जाती हैं और मरीज को सांस लेने और निगलने में भी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है.
पिछले तीन महीनों में 100 नए मामले सामने आए
पॉलिटिको की रिपोर्ट बताती है कि, अक्टूबर 2023 से पहले इस बीमारी के मामले बेहद कम थे. लगभग सालाना सिर्फ 12 केस दर्ज होते थे. लेकिन, पिछले तीन महीनों में करीब 100 नए मामले सामने आए हैं. जॉर्डन और इजराइल में भेजे गए लैब सैंपल्स में एंटरोवायरस नामक वायरस की पुष्टि हुई है. यह वायरस संक्रमित पानी और गंदगी के संपर्क से फैलता है. गाजा के खान यूनिस इलाके में गंदा पानी और सीवेज का जमाव आम है, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है. साथ ही गुलियन बार सिंड्रोम के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जो एक और गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या है.
15 साल से कम उम्र के बच्चों में 32 मामले दर्ज किए
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 31 जुलाई तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों में 32 मामले दर्ज किए गए हैं. WHO ने माना है कि जांच प्रणाली बेहतर होने के साथ- साथ गाजा में खराब स्वास्थ्य सेवाएं, कुपोषण और गंदगी इस समस्या को बढ़ावा दे रही हैं. इस साल जांच किए गए लगभग 70 % मामलों में नॉन- पोलियो एंटरोवायरस पाया गया है, जबकि पहले यह केवल 26 % था.
इस बीमारी का इलाज करना बहुत मुश्किल
डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी का इलाज करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि गाजा में इलाज के लिए आवश्यक दवाइयां और मशीनें उपलब्ध नहीं हैं. गाजा के प्रमुख अस्पताल अल- शिफा अस्पताल, जो 2024 की शुरुआत में इजराइल की बमबारी में काफी प्रभावित हुआ था, में अब तक 22 गुलियन- बार सिंड्रोम के मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है और 12 बच्चे स्थायी लकवे का शिकार हो गए हैं. इस बीमारी के इलाज के लिए इंट्रावेनस इम्युनोग्लोब्युलिन और प्लाज़्मा एक्सचेंज जैसी आधुनिक तकनीकों की जरूरत होती है, जो गाजा में नाकाबंदी के चलते उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं.
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