Imran Khan PTI Case: पाकिस्तान की एक अदालत से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ झटका लगा है. दरअसल, उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सात प्रमुख नेताओं को 2023 के दंगों के मामलों में लाहौर की आतंकवाद निरोधी अदालत (एटीसी) ने 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है. सजा पाने वाले नेताओं में सीनेटर एजाज चौधरी, पंजाब के पूर्व गवर्नर सरफराज चीमा, पूर्व प्रांतीय मंत्रियों यास्मीन राशिद और महमूदुर राशिद, और लाहौर में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के खिलाफ पिछला चुनाव लड़ने वाले वकील अज़ीम पाहट शामिल है
बता दें कि पीटीआई के ये सभी नेता 9 मई शारपाओ ब्रिज दंगों से संबंधित मामले में आतंकवाद के आरोपों के तहत कई मामलों का सामना कर रहे हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि इन सभी नेताओं को नौ मई को हुई हिंसा से जुड़े अन्य मामलों में भी दोषी ठहराया जा सकता है.
इन लोगों को भी सुनाई गई सजा
इसके अलावा, लाहौर की एक अदालत ने शहर में हुए दंगों में संलिप्तता के लिए पीटीआई के आठ सदस्यों को 10-10 साल जेल की सजा सुनाई. जिन लोगों को सजा सुनाई गई है उनमें पंजाब प्रांत के पूर्व गवर्नर उमर सरफराज चीमा, पूर्व प्रांतीय मंत्री यास्मीन राशिद और वर्तमान सीनेटर एजाज अहमद चौधरी शामिल हैं. हालांकि, पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और पांच अन्य को बरी कर दिया गया.
कोर्ट के फैसले को चुनौती देगी पीटीआई
वहीं, कोर्ट के इस फैसले को लेकर पीटीआई के लंदन स्थित प्रवक्ता सैयद जुल्फिकार बुखारी ने कहा कि अभियोजन पक्ष “प्रक्रियात्मक अनियमितता, चयनात्मक न्याय और संवैधानिक उल्लंघनों के एक परेशान करने वाले पैटर्न को उजागर करता है.” उन्होंने इन मुकदमों को “राजनीतिक तमाशा… कहा, जिन्हें तेज़ गति से निपटाया जा रहा है, रोज़ाना सुनवाई हो रही है, यहां तक कि शनिवार को देर रात 10:40 बजे तक चलने वाली सुनवाई भी.”
इसके अलावा, साल 2023 से जेल में बंद इमरान खान के गिरफ्तारी को लेकर उनकी पार्टी का कहना है कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं. उनके समर्थकों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है, हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया है और खान का नाम टेलीविज़न से हटा दिया गया है.
इमरान खान की नज़रबंदी का कोई कानूनी आधार नहीं
दरअसल, पिछले साल, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के एक पैनल ने पाया कि इमरान खान की नज़रबंदी का “कोई कानूनी आधार नहीं था और ऐसा लगता है कि इसका उद्देश्य उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराना था”. खान की लोकप्रियता उस अस्थिर गठबंधन सरकार को कमज़ोर कर रही है जिसने पिछले साल चुनावों के बाद पीटीआई को सत्ता से दूर रखा था.
फैसले का क्या असर हो सकता है?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कोर्ट के इस फैसले के दूरगामी राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं. दरअसल, इमरान खान पहले से ही जेल में हैं और पार्टी चुनाव आयोग और सरकार दोनों के लगातार दबाव में रही है. ऐसे में अब इस नेताओं को सजा सुनाया जाना पीटीआई के लिए बड़ा झटका है. साथ ही उनका ये भी कहना है कि इन नेताओं को 9 मई की हिंसा से जुड़े अन्य मामलों में भी दोषी ठहराया जा सकता है, जिससे उनकी सजा और भी लंबी हो सकती है. हालांकि, पीटीआई ने अदालत के फैसले को “राजनीति से प्रेरित” करार दिया है और अपील करने की अपनी मंशा की घोषणा की है.
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