CIA के पूर्व अधिकारी का दावा-हमें विश्वास था कि भारत-पाकिस्तान युद्ध में उतरेंगे, भारत के बारे में कभी सोचा ही नहीं…?

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Washington: अमेरिकी खुफिया एजेंसी (CIA) के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको ने दावा किया है कि संसद पर हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होने वाला था. हमें विश्वास था कि 2002 में भारत और पाकिस्तान युद्ध में उतरेंगे. इसलिए परिवार के सदस्यों को इस्लामाबाद से निकाल लिया गया था. अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? इस सवाल के जवाब में करियाको ने कहा कि यह व्हाइट हाउस में लिया गया फैसला था.

उस समय हमें उनसे ज्यादा पाकिस्तानियों की जरूरत थी

यह रिश्ता भारत, पाकिस्तान से कहीं बड़ा है. उस समय हमें पाकिस्तानियों की जरूरत उनसे ज्यादा थी जितनी उन्हें हमारी थी. जॉन किरियाको ने एक इंटरव्यू में भारत-पाकिस्तान का जिक्र किया है. किरियाको ने 9/11 के बाद पाकिस्तान में आतंकवाद-रोधी अभियानों का नेतृत्व करते हुए बिताए अपने वर्षों के बारे में अवगत कराया. उन्होंने इस्लामाबाद के साथ वाशिंगटन के असहज गठबंधन, आतंकवादी नेटवर्क के उदय और 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर बातचीत की.

विदेश उप-सचिव आए, दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच आते-जाते रहे

किरियाको ने दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम को याद करते हुए कहा कि विदेश उप-सचिव आए और दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच आते-जाते रहे और एक समझौते पर बातचीत की, जिसके बाद दोनों पक्ष पीछे हट गए. लेकिन हम अल-कायदा और अफगानिस्तान में इतने व्यस्त और केंद्रित थे कि हमने भारत के बारे में कभी सोचा ही नहीं. 2008 के मुंबई हमलों पर विचार करते हुए किरियाको ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह अल-कायदा है. मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी समूह हैं. और यही बात साबित हुई.

संसद हमलों और मुंबई हमलों के बाद भारत ने दिखाया संयम

असल बात यह थी कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैला रहा था और किसी ने कुछ नहीं किया. उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत की संयमित प्रतिक्रिया पर को लेकर कहा कि संसद हमलों और मुंबई हमलों के बाद भारत ने संयम दिखाया. CIA में हमने भारतीय नीति को रणनीतिक धैर्य कहा था. लेकिन भारत अब उस मुकाम पर पहुंच गया है जहां वह रणनीतिक धैर्य को कमजोरी समझे जाने का जोखिम नहीं उठा सकता.

पाकिस्तान के खुफिया तंत्र में गहरे मतभेदों का भी खुलासा

पूर्व CIA अधिकारी ने किरियाको ने पाकिस्तान के खुफिया तंत्र में गहरे मतभेदों का भी खुलासा किया है. कहा कि वास्तव में दो समानांतर ISI थीं. एक ISI थी जिसके साथ मैं काम कर रहा था, सैंडहर्स्ट और FBI द्वारा प्रशिक्षित नायक और फिर एक और ISI थी जो लंबी दाढ़ी वाले लोगों से बनी थी, जिन्होंने इन कश्मीरी आतंकवादी समूहों या जैशी मोहम्मद को बनाया था. अल-कायदा के खिलाफ शुरुआती अमेरिकी अभियानों के बारे में बात करते हुए उन्होंने अबू जुबैदा की गिरफ्तारी पर चर्चा की, जिसे गलती से अल-कायदा का नंबर तीन माना जाता था और लाहौर में लश्कर-ए-तैयबा के एक सुरक्षित ठिकाने पर 2002 में हुए छापे का वर्णन किया.

हमने लश्कर-ए-तैयबा के तीन लड़ाकों को पकड़ा

उन्होंने कहा कि हमने लश्कर-ए-तैयबा के तीन लड़ाकों को पकड़ा, जिनके पास अल-कायदा प्रशिक्षण पुस्तिका की एक प्रति थी. यह पहली बार था जब हम पाकिस्तानी सरकार को अल-कायदा से जोड़ पाए. अमेरिका-सऊदी संबंधों पर उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में हमारी विदेश नीति वास्तव में उतनी ही सरल है जितनी कि हम उनका तेल खरीदते हैं और वे हमारे हथियार खरीदते हैं. उन्होंने बताया कि एक सऊदी गार्ड ने उनसे कहा था कि तुम किराए के नौकर हो. हमने तुम्हें यहाँ आने और हमारी रक्षा करने के लिए पैसे दिए हैं. हम दोस्त नहीं हैं. उन्होंने सऊदी अरब के पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में भी बात की और कहा कि लगभग पूरी सऊदी सेना पाकिस्तानी है. जमीन पर सऊदी अरब की रक्षा पाकिस्तानी ही करते हैं.

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