Indian Navy में शामिल हुआ भारत का पहला Anti-Submarine Arnala Warship, जानिए क्‍या है इसकी खासियत

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Indian Navy: भारत लगातार अपनी समुद्री रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में जुटा हुआ है. ऐसे में ही अब INS अर्नाला को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. बता दें कि यह पहला एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW-SWC) है, जो तटीय क्षेत्रों और उथले समुद्री इलाकों में पनडुब्बी जैसे खतरों से निपटने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है.

दरअसल, विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित एक भव्य समारोह में इस जहाज को नौसेना में शामिल किया गया. इस खास मौके सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे.

INS अर्नाला में लगे है 80% से अधिक स्वदेशी उपकरण

बता दें कि INS अर्नाला को ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत विकसित किया गया है. इसमें 80% से ज्‍यादा स्वदेशी उपकरण और तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया है, जो रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. ये जहाज न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाता है बल्कि देश की नौसैनिक निर्माण क्षमता और तकनीकी प्रगति का भी प्रमाण है.

क्‍या है INS अर्नाला की खासियत?

वहीं, बात करें इसकी खासियत की, तो इसमें एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW-SWC) है. यह तटीय और उथले समुद्री इलाकों में जल के भीतर खतरों की निगरानी करने के साथ ही उसका मुकाबला भी करेगा. इसके अलावा, इसका सबसर्फेस सर्विलांस, खोज एवं बचाव अभियान और कम तीव्रता वाले नौसैनिक मिशन पर उपयोग किया जायेगा.  यह जहाज भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करेगा और पनडुब्बी गतिविधियों की निगरानी में भी सहायक सिद्ध होगा.

अर्नाला द्वीप के नाम पर रखा गया युद्धपोत का नाम

बता दें कि इस युद्धपोत का नाम अर्नाला द्वीप के नाम पर रखा गया है, जो महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र में स्थित है और ऐतिहासिक रूप से नौसैनिक रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है. इस नामकरण के माध्यम से भारतीय नौसेना ने समुद्री विरासत और आधुनिक तकनीक के बीच संतुलन का प्रतीक भी प्रस्तुत किया है.

तकनीकी आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में बड़ा कदम

INS अर्नाला का भारतीस नौसेना में शामिल होना भारत की सैन्य स्वदेशीकरण नीति, तकनीकी आत्मनिर्भरता और समुद्री सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह युद्धपोत आने वाले समय में तटीय क्षेत्रों में जल के नीचे के खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा.

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