‘उम्मीद है US का “ट्रंप कार्ड” नहीं बनेगा पाकिस्तान’ अमेरिकी राष्‍ट्रपति के बयान पर भारत में बोले ईरानी मिशन के डिप्टी चीफ

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Israel Iran War: इजरायल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिकी राष्‍ट्रपति के एक बयान ने ईरान की चिंता को बढ़ा दिया है. ऐसे में भारत में ईरानी मिशन के डिप्टी चीफ मोहम्मद जवाद होसेनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उम्मीद है पाकिस्तान ट्रंप के ‘कार्ड’ की तरह इस्तेमाल नहीं होगा. यानि वह अमेरिका के कहने में नहीं आएगा.

जवाद होसेनी का ये बयान ट्रंप के उस टिप्‍पणी के बाद सामने आई, जिसमें हाल ही उन्‍होंने भारत के पड़ोसी देश को लेकर हाल ही में कहा था कि पाकिस्‍तान जरूरत पड़ने पर अमेरिका के काम आएगा. वो इजरायल के खिलाफ नहीं है. इसके साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा था कि पाकिस्‍तानी के सेना प्रमुख मुनीर ईरान को अच्छी तरह से जानते हैं. और इस मामले में वो अमेरिका से सहमत हैं. दरअसल, ईरानी मिशन के डिप्टी चीफ ने एक सवाल के जवाब में कहा कि “…मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान उस दिशा में नहीं जाएगा और इज़रायली आक्रामकता के खिलाफ ईरान के साथ खड़ा रहेगा”.

होसेनी ने भारत को लेकर भी कही ये बात

बता दें कि जवाद होसेनी से यह पूछा गया था कि क्या अमेरिकी पक्ष इस संघर्ष के दौरान खासकर पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर की अमेरिका यात्रा के बाद जो पाकिस्तान से मदद लेने की सोच रहा है, वह उस योजना में सफल होगा? इस पर होसेनी ने कहा कि पाकिस्तान ईरान के साथ खड़ा रहेगा. साथ ही उन्‍होने ये भी कहा कि “भारत जैसे देश, जो दक्षिण की आवाज़ हैं, और जो शांति के पक्षधर बड़े देश हैं, उन्हें समन्वय करना चाहिए और इज़रायल पर दबाव डालना चाहिए. सबसे पहले, उन्हें इज़रायल की निंदा करनी चाहिए,”.

…तो इजरायल न करता ये हिम्माकत

उन्‍होंने कहा कि “यदि अक्टूबर 2023 में जब इज़रायल ने हमास के सफाए के नाम पर फिलिस्तीनियों की हत्या की थी, उस समय उसकी निंदा की गई होती, तो शायद वह ईरान जैसे एक संप्रभु राष्ट्र पर हमला करने का निर्णय नहीं लेता.”

IAEA की विश्वसनीयता पर सवाल

होसेनी ने ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को लेकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पहले ही कहा था कि उनके पास कोई जानकारी नहीं है कि ईरान किसी भी सैन्य उद्देश्य से परमाणु गतिविधि कर रहा है, लेकिन इन मुद्दों ने IAEA की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि उन्होंने ईरान के खिलाफ सैन्य हमले में इज़रायल का साथ दिया,”.

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