भारत-अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग दोनों देशों की साझेदारी का मजबूत स्तंभ: विनय मोहन क्‍वात्रा   

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

ISRO-NASA Ties: अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्‍वात्रा ने वॉशिंगटन में आयोजित इंडिया-यूएसए अंतरिक्ष सहयोग कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जिसमें अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, निक हेग, बुच विलमोर और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भी भाग लिया था. इस दौरान भारतीय राजदूत ने भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग को दोनों देशों की साझेदारी का मजबूत स्तंभ बताया.

उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) के बीच सहयोग ‘फलदायी और ऐतिहासिक’ रहा है. इसके अलावा, उन्होंने याद दिलाया कि भारत-अमेरिका अंतरिक्ष यात्रा 1970 के दशक में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) जैसी पहलों के साथ शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य शैक्षिक पहुंच बढ़ाना था. और तभी से यह साझेदारी कई उच्च-स्तरीय मिशनों तक विस्तारित हुई है.

नासा बनेगा एक महत्‍वपूर्ण साझेदार 

बता दें कि इन मिशनों में चंद्रयान शृंखला, भारत द्वारा आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर, और इस वर्ष की शुरुआत में लॉन्च किया गया संयुक्त नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) मिशन शामिल हैं. ऐसे में क्वात्रा ने कहा कि यदि भविष्य की बात करें तो भारत 2028 और 2035 के बीच एक मानवयुक्त चंद्र मिशन और एक अंतरिक्ष स्टेशन की योजना बना रहा है और नासा इसमें एक महत्वपूर्ण साझेदार बना रहेगा.

सुनीता विलियम्स ने साझा किया अपना अंतरिक्ष अनुभव

इस बीच भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अभियान 72 की कमांडर के रूप में अपने अनुभव पर प्रकाश डालते हुए इसे एक ‘अत्यंत कठिन चुनौती’ बताया, जिसने टीम वर्क, लचीलेपन और संचार के महत्व को रेखांकित किया. विलियम्स ने कहा कि यह एक बहुत कठिन चुनौती है, लेकिन हम अपने समय में बहुत भाग्यशाली रहे हैं कि हमें अलग-अलग चीजें देखने को मिलीं.

उम्‍मीद से अधिक समय तक चला मिशन

उन्‍होंने कहा कि हमने केवल आपके अलग-अलग अनुभवों को लिया है और उन्हें उस अंतरिक्ष यान में जोड़ दिया है जिसके लिए आप प्रशिक्षण ले रहे हैं. हमने सोचा था कि हम वहां ज्यादा समय तक नहीं रहेंगे, लेकिन मिशन उम्मीद से ज्यादा समय तक चला. सबसे बड़ी बात जो हमने सीखी, वह थी टीम के सहयोग का महत्व और एक-दूसरे की बात सुनने का महत्व.  टीम वर्क वास्तव में अस्तित्व और सफलता के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है.

 1,000 घंटे से ज्यादा शोध करने में सफल रहा मिशन

सुनीता विलियम्‍स ने कहा कि सितंबर 2024 में शुरू हुआ और इस साल मार्च में क्रू-9 के स्प्लैशडाउन के साथ समाप्त हुआ यह मिशन मानव स्वास्थ्य, पदार्थ विज्ञान, जीव विज्ञान और अग्नि सुरक्षा पर 1,000 घंटे से ज्यादा शोध करने में सफल रहा. इसने कक्षा में 3डी मेटल प्रिंटिंग क्षमताओं को भी बढ़ाया और तैनाती के लिए पहला लकड़ी का उपग्रह तैयार किया.

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