Japan: जापान ने 100 किलोवाट की ताकत वाला लेजर हथियार तैयार कर लिया है, जिसे अपने एक बड़े युद्धपोत पर तैनात किया है. 100 किलोवाट ऊर्जा वाला यह हथियार छोटे ड्रोन से लेकर मोर्टार जैसे खतरों को हवा में ही खत्म कर सकता है. इसे 6,200 टन वजनी युद्धपोत पर लगाया गया है. यह ताकत इतनी ज्यादा है कि यह धातु की सतह को भी जला सकती है. यह हथियार खास तौर पर छोटे ड्रोन, मोर्टार राउंड और हल्के हवाई खतरों को मार गिराने के लिए बनाया गया है.
हर लेजर की ताकत 10 किलोवाट
इस हथियार की खास बात यह है कि इसमें 10 अलग‑अलग लेजर लगे हैं. हर लेजर की ताकत 10 किलोवाट है. ये दसों मिलकर एक 100 किलोवाट का शक्तिशाली बीम बनाते हैं. यह बीम इतनी सटीक और केंद्रित होती है कि लक्ष्य पर लगातार पड़ते ही उसे जला देती है. यह सिस्टम फाइबर लेजर तकनीक पर आधारित है. इसमें रोशनी को एक खास तरह के ठोस फाइबर से गुजारा जाता है, जिसमें दुर्लभ तत्व मिले होते हैं. इसी फाइबर के अंदर रोशनी और ज्यादा ताकतवर होती जाती है और आखिर में एक बेहद तेज बीम के रूप में बाहर निकलती है.
यह लेजर सिस्टम जेएस असुका टेस्ट शिप पर लगाया
2 दिसंबर को जापान की Acquisition, Technology and Logistics Agency (ATLA) ने आधिकारिक तौर पर बताया कि यह लेजर सिस्टम जेएस असुका टेस्ट शिप पर लगा दिया गया है. यह जहाज जापान मरीन यूनाइटेड के शिपयार्ड में पहुंचा था. सिस्टम को दो बड़े, 12 मीटर लंबे गोलाकार मॉड्यूल में पैक करके जहाज पर लगाया गया. अब इस लेजर हथियार को समुद्र में उतारकर परखा जाएगा. इसके समुद्री परीक्षण 27 फरवरी 2026 के बाद शुरू होंगे.
सबसे बड़ी ताकत इसकी अनलिमिटेड मैगजीन
इस लेजर हथियार पर काम साल 2018 से चल रहा है. फरवरी 2023 में इसे बनाने वाली कंपनी कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज ने इसका प्रोटोटाइप को सौंपा था. जहाज पर डॉकिंग के वक्त अधिकारियों ने बताया कि अगर पर्याप्त बिजली मिले तो यह सिस्टम बिना रुके लगातार लक्ष्य पर हमला कर सकता है. अधिकारियों के अनुसार इस हथियार की सबसे बड़ी ताकत इसकी अनलिमिटेड मैगजीन है. यानी इसमें गोली या मिसाइल खत्म होने का डर नहीं है. जब तक बिजली है तब तक हमला जारी रह सकता है.
हथियार को पूरी तरह युद्ध में उतारने में लगेंगे कई साल
इसकी प्रति शॉट लागत भी पारंपरिक एयर डिफेंस सिस्टम के मुकाबले बहुत कम है. हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि इस हथियार को पूरी तरह युद्ध में उतारने में अभी कई साल लगेंगे. लेकिन इन परीक्षणों से यह तय किया जाएगा कि भविष्य में इससे भी ज्यादा ताकतवर लेजर बनाकर मिसाइलों को हवा में ही रोका जा सकता है या नहीं.
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