New Delhi: CBI ने जापानी नागरिकों को निशाना बनाने वाले तकनीकी सहायता घोटाले के मुख्य आरोपी द्विबेंदु मोहराना को गिरफ्तार कर लिया है. भारत लौटते समय उसे भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर पकड़ा गया. वह मई 2025 में नोएडा में अपने अवैध कॉल सेंटर के पर्दाफाश होने के तुरंत बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भाग गया था. 28 मई 2025 को दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 19 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई थी.
भुवनेश्वर से UAE फरार हो गया था द्विबेंदु
इस दौरान छह गुर्गों को मौके से गिरफ्तार किया गया और कॉल सेंटर का पूरा सेटअप जब्त किया गया. मोहराना उसी रात भुवनेश्वर से UAE फरार हो गया था. यह कार्रवाई ऑपरेशन चक्र-5 के तहत की गई, जिसमें CBI ने जापान की राष्ट्रीय पुलिस एजेंसी और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर काम किया. जांच में पता चला कि मोहराना नोएडा स्थित VOIP कनेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक फर्जी कॉल सेंटर चलाता था. वहां से उसके गुर्गे जापानी नागरिकों को फोन कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के तकनीकी सहायक बनकर धोखा देते थे.
CBI ने उसके खिलाफ जारी किया था लुकआउट नोटिस
पीड़ितों को कंप्यूटर में वायरस या सिस्टम फेलियर का झूठा डर दिखाकर डिजिटल वॉलेट या बैंक ट्रांसफर के जरिए पैसे ऐंठे जाते थे. CBI ने उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था, जिसके आधार पर एयरपोर्ट पर उसे रोका गया. गिरफ्तारी के बाद मोहराना को ट्रांजिट वारंट पर दिल्ली लाया गया. CBI विशेष अदालत ने उसे तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है ताकि साइबर नेटवर्क के अन्य सदस्यों, फंड ट्रेल और विदेशी खातों की जानकारी हासिल की जा सके. इस मामले में CBI ने अब तक कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है.
यह ऑपरेशन साइबर अपराध के खिलाफ वैश्विक साझेदारी का उदाहरण
सभी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल हो चुका है और वे न्यायिक हिरासत में हैं. जांच से सामने आया है कि यह सिंडिकेट परिष्कृत सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों का इस्तेमाल करता था. जापानी भाषा में स्क्रिप्ट तैयार कर पीड़ितों को विश्वास में लिया जाता था. CBI प्रवक्ता ने कहा कि यह ऑपरेशन साइबर अपराध के खिलाफ हमारी वैश्विक साझेदारी का उदाहरण है. जापान पुलिस और माइक्रोसॉफ्ट की तकनीकी मदद से हमने इस नेटवर्क को लगभग पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है.
इसे भी पढ़ें. अमेरिकी शटडाउन पहुंचा दूसरे महीने में: तंगी में सरकारी कर्मचारी, भूख से जूझ रहे परिवार