Tokyo: जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने कहा है कि उनकी स्थिति पिछली सरकारों की स्थिति जैसी ही है. वहीं ताकाइची ने संसद में कहा कि ताइवान को लेकर दिया उनका पिछला बयान सोची-समझी रणनीति का हिस्सा नहीं था बल्कि अचानक ही उन्होंने ये बात कह दी थी. उन्होंने कहा कि शुरू में उनका इरादा किसी ऐसे खास मामले का जिक्र करने का नहीं था जिसे जापान अस्तित्व के लिए खतरे वाली स्थिति मान सकता है और कलेक्टिव सेल्फ-डिफेंस अधिकार के तहत अपनी सेना तैनात कर सके.
चीनी नौसेना की नाकाबंदी जापान के लिए अस्तित्व का संकट
पद संभालने के बाद पहली बार संसद में विपक्षी नेताओं का सामना करते हुए ताकाइची ने 7 नवंबर की अपनी उस बात का बचाव किया जिसमें उन्होंने कहा था कि ताइवान पर चीनी नौसेना की नाकाबंदी जापान के लिए अस्तित्व का संकट बन सकती है. दावा किया कि सत्र को लंबा न करने के लिए बतौर उदाहरण उन्होंने अपनी बात रखी थी. बयान के बचाव में कहा कि सिर्फ सरकार की पिछली स्थिति को बार-बार दोहराने से कुछ हालात में बजट कमेटी के उस सेशन को सस्पेंड किया जा सकता था.
मैंने ईमानदारी से जवाब देने की कोशिश की
उन्होंने आगे कहा कि मुझसे खास उदाहरण देने के लिए कहा गया था और मैंने ईमानदारी से जवाब देने की कोशिश की. बुधवार को कॉन्स्टिट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जापान के नेता योशीहिको नोडा के सवाल के जवाब में ताकाइची ने कहा कि उनकी सरकार चीन के साथ बातचीत के दरवाजे खुले रखे हुए है. उन्होंने कहा कि आगे बढ़ते हुए बातचीत के जरिए चीन के साथ ज्यादा बड़े और सकारात्मक रिश्ते बनाने के लिए राष्ट्रीय हितों का ख्याल रखना मेरी जिम्मेदारी है.
सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से मेल नहीं खातीं
प्रधानमंत्री के साथ अपनी बातचीत में नोडा ने कहा कि ताकाइची की बातें उनकी सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से मेल नहीं खातीं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आपके (पीएम ताकाइची) विचार हमेशा से ही ऐसे थे लेकिन सेल्फ-डिफेंस फोर्सेज के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर कुछ बातें ऐसी हैं जो आप नहीं कह सकते. अनजाने में अपने निजी विचार जाहिर करना बड़ी नासमझी है.
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