मणिपुर में भंग हो सकता है विधानसभा… बीजेपी के पास केवल 48 घंटे का समय, जानिए क्या है पूरा मामला

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Manipur New CM: मणिपुर के लिए अगले 48 घंटे यानी दो दिन काफी महत्‍वपूर्ण होने वाला है. दरअसल रविवार को मणिपुर के मुख्‍यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्‍यपाल अजय सिंह भल्‍ला को अपना इस्‍तीफा सौंप दिया था. ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद के लिए नया चेहरा चुनना होगा, जिसके लिए उनके पास महज 48 घंटे का ही समय है.

बता दें कि भाजपा को 12 फरवरी तक नए मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगानी होगी. यदि ऐसा नहीं होता है, तो नियमानुसार विधानसभा भंग हो जाएगी. क्‍योंकि पिछला विधानसभा सत्र 12 अगस्त 2024 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था. ऐसे में यदि 12 फरवरी तक विधानसभा नहीं बुलाई जाती है तो विधानसभा भंग हो जाएगी, जो राष्‍ट्रपति के लिए आदर्श स्थिति होगी. और यही वजह है कि बीजेपी के लिए अगले 48 घंटे काफी अहम होने वाले है.

मणिपुर के विधायको को बीजेपी हाईकमान ने बुलाया दिल्ली

सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में नए सिरे से सरकार गठन की प्रक्रिया में भाजपा लग चुकी है. इसके लिए वो नई दिल्ली में बैठक भी करने वाले है, जिसमें बीजेपी और सहयोगी दलों के सभी विधायक वरिष्ठ नेता मौजूद होंगे. वहीं, हाईकमान ने 10 कुकी विधायकों को भी दिल्ली बुलाया है.

बीरेन सिंह को क्यों देना पड़ा इस्तीफा?

बता दें कि एन बीरेन सिंह का दूसरा कार्यकाल मणिपुर में जातीय हिंसा की वजह से विवादों में रहा है, जिसके पार्टी के ही कुछ विधायक मणिपुर में उनके खिलाफ बगावत करने के लिए खड़े हो गए थे. बीरेन सिंह को सीएम पद से हटाने के लिए हाल ही में 19 विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यव्रत सिंह समेत कुछ मंत्री भी शामिल थे.

विधायको के साथ ही मणिपुर के जनता का भी बीरेन सिंह के खिलाफ दबाव देखा गया. वहीं, 10 फरवरी से मणिपुर विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला था, जहां कांग्रेस की सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी मे थी. वहीं, बड़ी बात ये थी कि बीजेपी के भी 19 विधायक एन बीरेन सिंह के खिलाफ थे, जिससे कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को और भी मजबूती मिलती और परिणास्‍वरूप उन्‍हें कुर्सी छोड़नी ही पड़ती.

कांग्रेस के जीतने की गुंजाइश समाप्‍त

ऐसे में बीरेन सिंह के पहले ही कुर्सी छोड़ने के बाद सदन के भीतर कांग्रेस के जीतने की गुंजाइश खत्म हो गई है. इसके साथ ही अशांत मणिपुर के लिए बीजेपी का ये एक बड़ा संदेश भी हो सकता है.

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