Pakistan Economy: पाकिस्तान इस समय आर्थिक मंदी के बुरे दौर से गुजर रहा है. बढ़ती मंहगाई के कारण देश में गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे है, जो जरूरी सामनों की मांग और सप्लाई के बीच बढ़ते अंतर के कारण है. इसकी जानकारी हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, देश में अधिकांश आबादी के लिए भोजन और पोषण का प्राथमिक स्रोत गेहूं की कीमतों में मात्र एक महीने में 30-50 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है.
पाकिस्तान की इस स्थिति से वहां के रह रहे लोगों की समस्याएं और भी बढ़ गई है, जो पहले से ही बढ़ती जीवन-यापन लागत और देश की आर्थिक अस्थिरता से प्रभावित थे. दरअसल, सितंबर 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में साल-दर-साल आधार पर 5.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.’
बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति की वजह से मांस की खपत और टमाटर जैसी महंगी वस्तुओं की खपत में कटौती आई. लोगों ने खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सरकार की विफलता पर रोष व्यक्त किया है, जिससे उनकी आजीविका मुश्किल हो गई है.
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का अनुमान फेल
वहीं, जानकारों का कहना है कि समग्र मुद्रास्फीति के आंकड़े इस्लामाबाद सरकार और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के अनुमान से अधिक होंगे. बता दें कि पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा था कि सरकार मूल्य स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों का दावा है कि सरकारी उपाय केवल प्रतीकात्मक थे, जिससे ज्यादा दाम वसूलने पर रोक नहीं लग पाई.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित
देश में कम कृषि उत्पादन और खाद्य वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के लिए इस्लामाबाद सरकार ने भी बाढ़ को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण खाद्य मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने की आशंका है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हुई है, जिससे कृषि उत्पादन पर असर पड़ा है और मुद्रास्फीति का दबाव फिर से बढ़ गया है. विश्व बैंक ने 2025-26 में पाकिस्तान के लिए केवल 2.6 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है.
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