Russia-Iran Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस-यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने की कोशिशें नाकाम होने के बाद अब वॉशिंगटन के सामने एक और बड़ी चुनौती खड़ी हो रही है, वो भी उसके पुराने विरोधी ईरान की ओर से. बता दें कि इस बार का मामला केवल कूटनीतिक तनाव का नहीं, बल्कि परमाणु ऊर्जा विस्तार का है, जिसमें रूस की सक्रिय भूमिका अमेरिका की चिंताओं को और भी गहरा कर रही है.
बता दें कि तेहरान से मिली अपडेट के अनुसार, ईरान में रूस आठ न्यूक्लियर पावर प्लांट का निर्माण करेगा. दोनों देशों के बीच यह परियोजना पहले से ही साइन किए गए समझौते का हिस्सा है, लेकिन यह काम जिस वक्त शुरू किया जा रहा है, वो वैश्विक राजनीतिक समीकरणों को और जटिल बना रहा है.
ईरान की ऊर्जा रणनीति में बड़ा कदम
दरअसल, ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन (AEOI) के प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने कहा कि ये रूस द्वारा ईरान में स्थापित किए जा रहे ये आठ रिएक्टर ईरान की भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम हैं. उन्होंने बताया कि इनमें से चार रिएक्टर दक्षिणी प्रांत बुशहर में बनेंगे.
क्या है ईरान का मकसद?
वर्तमान में बुशहर प्लांट का विस्तार जारी है, जहां यूनिट-2 और यूनिट-3 का निर्माण ईरानी कंपनियां कर रही हैं. इसी बीच इस्लामी ने कहा कि ईरान की योजना अपनी परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को तीन गुना तक बढ़ाने की है, जिसका मकसद तेल और गैस पर निर्भरता घटाना और स्वदेशी तकनीक के दम पर ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना है.
अमेरिका के लिए नई चुनौती
ईरान और रूस का यह सहयोग केवल ऊर्जा के क्षेत्र ही नहीं, बल्कि भूराजनीतिक प्रभाव के लिहाज़ से भी अहम माना जा रहा है. बता दें कि बुशहर प्लांट का पहला चरण पहले ही रूस की मदद से मई 2011 में शुरू किया गया था और अब उसी भरोसे को आधार बनाकर दोनों देश एक नया अध्याय लिखने जा रहे हैं. इस बीच ईरान के पेट्रोलियम मंत्री मोहसेन पकनेजाद ने भी पुष्टि की थी कि मास्को की क्रेडिट लाइन के जरिए यह सहयोग और आगे बढ़ेगा.
सफल परमाणु परीक्षण से दूर नहीं ईरान
वहीं, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर IAEA प्रमुख राफेल ग्रॉसी का कहना है कि एक सफल परमाणु परीक्षण से ईरान अब बहुत दूर नहीं है. वहीं, अमेरिकी खुफिया एजेंसी का कहना है कि अभी तक ईरान ने हथियार कार्यक्रम शुरू नहीं किया है, लेकिन उसकी तकनीकी तैयारी पूरी है इसका मतलब ईरान जब चाहे तब परमाणु बम बनाने की स्थिति में आ सकता है.
इसे भी पढें:-बांग्लादेश में आई भिखारियों की बाढ़, पाकिस्तान से दोस्ती करना मोहम्मद यूनुस को पड़ रहा भारी