“वैध अधिकारियों के हों हस्ताक्षर…” जेलेंस्की के साथ सीजफायर समझौते पर रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन को संदेह

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Russia-Ukraine Ceasefire: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध-विराम को लेकर वार्ता होने की संभावना है. रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन यूक्रेन के साथ संघर्ष विराम समझौते पर चर्चा करने के लिए तैयार है लेकिन उन्‍हें यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की वैधता पर संदेह है. राष्‍ट्रपति पुतिन का कहना है कि वे जेलेंस्की से वार्ता करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनका राष्ट्रपति पद का कार्यकाल आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया है. ऐसे में रूस-यूक्रेन के बीच जो भी समझौता होंगे उस पर वैध अधिकारियों के हस्ताक्षर होने चाहिए.

यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू

बता दें कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का राष्ट्रपति कार्यकाल आधिकारिक तौर पर पिछले वर्ष ही समाप्त हो चुका था. यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू होने के वजह से कोई उत्तराधिकारी नहीं चुना गया है. इसे लेकर जेलेंस्की का तर्क है कि वे वर्तमान परिस्थितियों में पद पर बने रह सकते हैं. जबकि यूक्रेनी संविधान में कहा गया है कि ऐसे मामले में राष्ट्रपति की शक्तियों को संसद के अध्यक्ष को हस्तांतरित किया जाना चाहिए.

पुतिन ने जेलेंस्‍की की वैधता पर जताई चिंता

यूक्रेनी राष्‍ट्रपति जेलेंस्की ने बार-बार पुतिन के साथ बैठक का आह्वान किया है. अब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध विराम को लेकर बातचीत की उम्मीद जगी है. सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम में पुतिन ने यूक्रेनी राष्‍ट्रपति की वैधता पर चिंता जताई. राष्‍ट्रपति पुतिन ने कहा कि यदि यूक्रेन राज्य अपनी ओर से बातचीत करने के लिए किसी को सौंपता है, तो आप अपनी मर्जी से जेलेंस्की को नियुक्त करें. सवाल यह है कि दस्तावेज पर कौन हस्ताक्षर करेगा?

वैध अधिकारियों से होने चाहिए हस्‍ताक्षर

पुतिन कहा कि प्रचार के मामले में कोई भी मौजूदा अधिकारियों की वैधता के बारे में कुछ भी कह सकता है, लेकिन गंभीर मामलों से निपटने के दौरान हम कानूनी पहलुओं की परवाह करते हैं, न कि प्रचार की. कई यूक्रेनी अधिकारियों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है. इसलिए जेलेंस्की की संदिग्ध कानूनी स्थिति उनके अधीन काम करने वालों के अधिकार पर संदेह पैदा करती है. उन्‍होंने कहा कि हस्ताक्षर वैध अधिकारियों से होने चाहिए. नहीं तो मेरे बाद जो भी आएगा, वह समझौते को कूड़ेदान में फेंक देगा.

ये भी पढ़ें :- International Yoga Day: योग के लिए स्वर्ग हैं भारत की ये जगहें, विदेशी सैलानियों का भी लगता है जमावड़ा

More Articles Like This

Exit mobile version