S Jaishankar on EU: आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम में भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय देशों को दो टूक संदेश दिया. उन्होंने कहा कि भारत को ज्ञान देने वालों की जरूरत नहीं, बल्कि परस्पर समान और हितों पर आधारित दोस्त चाहिए. ऐसे में यूरोप को भारत के साथ रिश्तों में संवेदनशीलता दिखानी होगी.
बता दें कि जम्मू कश्मीर में हुए पहलगाम हमले के बाद यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान की आलोचना नहीं की थी और इसी पर तंज कसते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि कुछ दूसरों को नैतिकता सिखाते हैं लेकिन खुद उस पर अमल नहीं करते. इसके साथ ही उन्होंने रूस और अमेरिका के साथ भी परस्पर हितों पर आधारित संबंधों की वकालत की.
अलग-अलग स्तरों पर प्रगति
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि यदि हमें साझेदारी करनी है तो कुछ आपसी समझ होनी चाहिए, कुछ संवेदनशीलता होनी चाहिए, कुछ पारस्परिक हित होने चाहिए तथा यह अहसास होना चाहिए कि दुनिया कैसे काम करती है और मुझे लगता है कि ये सभी कार्य यूरोप के विभिन्न भागों में अलग-अलग स्तरों पर प्रगति पर हैं, इसलिए कुछ देश आगे बढ़े हैं.
भारत ने रूस से तेल खरीद में की वृद्धि
वहीं, भारत और रूस के संबंधो पर एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच संसाधन प्रदाता और संसाधन उपभोक्ता के रूप में अहम सामंजस्य है और वे इस मामले में एक दूसरे के पूरक हैं. जहां तक रूस का सवाल है, तो हमने सदैव रूसी यथार्थवाद की वकालत करने का दृष्टिकोण अपनाया है. रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान भारत ने रूस के साथ संबंध बरकरार रखे और उसने पश्चिमी देशों की बढ़ती बेचैनी के बावजूद रूसी कच्चे तेल की खरीद में वृद्धि की.
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