एस जयशंकर ने IBSA के मंत्रियों के साथ की खास बैठक, UNSC में सुधार-समुद्री सुरक्षा और व्यापार पर रहा फोकस

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

S Jaishankar: न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के IBSA अकादमिक फोरम के मंत्रियों के साथ खास बैठक की. जिसमें यूएनएससी की स्थाई सदस्यता में सुधार समेत समुद्री सुरक्षा, अभ्यास और व्यापार जैसे मुद्दों पर अहम चर्चा हुई.

इस बैठक के बाद एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि “आज शाम न्यूयॉर्क में IBSA मंत्रियों की एक उत्कृष्ट बैठक हुई. IBSA ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के व्यापक सुधार की जोरदार मांग की. साथ ही IBSA अकादमिक फोरम, समुद्री अभ्यास, ट्रस्ट फंड और IBSA के भीतर व्यापार पर भी चर्चा हुई.” साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि IBSA आगे भी नियमित रूप से बैठकें आयोजित करता रहेगा.”

क्या है IBSA?

बता दें कि IBSA यानि इंडिया, ब्राजील और साउथ अफ्रीका का एक Academic Forum है. यह IBSA देशों के बीच शैक्षणिक और शोध सहयोग को बढ़ावा देने वाला प्लेटफ़ॉर्म है, जिसका उद्देश्‍य इन तीन उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच नीतिगत विचार-विमर्श, ज्ञान साझा करना और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान निकालना है.

कैसे काम करता है IBSA अकादमी फोरम

दरअसल, यह फोरम विश्वविद्यालयों, थिंक टैंक्स और नीति निर्माताओं को जोड़ता है, जिससे विकास, आर्थिक सुधार, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और वैश्विक शासन जैसे विषयों पर गहराई से चर्चा हो सके. इस फोरम का मकसद न सिर्फ देशों के बीच शैक्षिक संबंध बढ़ाना है, बल्कि वैश्विक मंचों पर IBSA की संयुक्त आवाज़ को मजबूत करना भी है.

जयशंकर ने की नेताओं से मुलाकात

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई देशों के नेताओं और मंत्रियों से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर मुलाकातें कीं. इनमें IBSA देशों के मंत्रियों के बीच बातचीत भी शामिल थी. इस दौरान चर्चाओं के मुख्‍य में IBSA Academic Forum का विस्तार और उसमें और अधिक विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों को जोड़ने की योजना, सामूहिक सहयोग से वैश्विक समस्याओं जैसे महामारी, जलवायु परिवर्तन, और आर्थिक असमानता से निपटने के उपाय करना और IBSA के भीतर व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना था. साथ ही समुद्री सुरक्षा और नौसैनिक अभ्यास जैसे क्षेत्रीय सहयोग के पहलुओं पर सहमति बनाना व संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार सहित वैश्विक शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर फोकस करना था.

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