Red Fort Blast: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण धमाके की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि इस तरह की हिंसक घटनाएँ किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं हो सकतीं. हसीना की यह प्रतिक्रिया सोमवार शाम उस विस्फोट के बाद आई है, जब लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास खड़ी एक कार में जोरदार धमाका हुआ. इस हादसे में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं. विस्फोट इतना तेज था कि आसपास खड़ी कई गाड़ियाँ और स्ट्रीट लाइटें भी क्षतिग्रस्त हो गईं. हसीना ने निर्दोष नागरिकों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया, पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.
आधुनिक दुनिया में चरमपंथी आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं
हसीना द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, आधुनिक दुनिया में चरमपंथी आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है. ये चरमपंथी आतंकवादी समूह एक धर्मनिरपेक्ष, मानवीय और कल्याणकारी राज्य की नींव पर प्रहार करते हैं. पाकिस्तान में जड़ें जमाए ये आतंकवादी समूह बांग्लादेश सहित विभिन्न देशों में अपने नेटवर्क में घुसपैठ कर चुके हैं और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करने के लिए भारत में हमले कर रहे हैं. यह बयान अवामी लीग के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया गया था. उन्होंने आगे कहा, हमें इन आतंकवादियों का विरोध करना चाहिए और लोगों के बीच संबंध मजबूत करके दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखनी चाहिए. बांग्लादेश अवामी लीग आतंकवाद के खिलाफ इस सैद्धांतिक संघर्ष में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पूरा समर्थन देती है.
शेख हसीना ने हर संभव सहयोग का किया वादा
हसीना ने इस बात पर जोर दिया कि मानवता के खिलाफ ऐसे जघन्य अपराधों के लिए आज की सभ्य दुनिया में कोई जगह नहीं है और न ही वे माफी के हकदार हैं. उन्होंने जोर देकर कहा, आतंकवाद की जड़ें जहां कहीं भी हों, उन्हें जड़ से मिटा दिया जाना चाहिए. हसीना ने कहा, बांग्लादेश और अन्य जगहों पर इन आतंकवादी समूहों का समर्थन करने वाले लोग मानवता के दुश्मन हैं और हम उनकी कड़ी निंदा भी करते हैं. उन्होंने भारत के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हर संभव सहयोग का वादा किया. हसीना ने कहा, हम आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ अपने रुख पर अडिग हैं. हमारा मानना है कि इन आतंकवादी समूहों की हार से न्याय और मानवाधिकारों की रक्षा होगी और दुनिया सुरक्षित बनेगी.