TrumpTariff : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने देश में ‘स्वर्ण युग’ लाने का दावा कर रहे हैं. इसी कारण् वे दुनियाभर के देशों पर भारी टैरिफ थोप रहे हैं. इसी कारण उन्होंने भारत पर भी भारी-भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इसके साथ ही रूस से तेल आयात को लेकर जुर्माने लगाने की बात कही है. फिलहाल उन्होंने अपने फैसले को एक सप्ताह के लिए टाल दिया है. ट्रंप के इस फैसले से भारत और अमेरिका के बीच दूरी बढ़ गई है. लेकिन फिर भी ट्रंप अपने फैसले को सही बता रहे हैं, लेकिन वर्तमान समय में ट्रंप के फैसले से अमेरिका में मंदी की आहट सुनाई देने लगी है.
भारत से झगड़ा मोलना ट्रंप की भूल
इस मामले को लेकर आर्थिक विशेषज्ञ का कहना है कि भारत से झगड़ा मोल लेने ट्रंप को मंहगा पड़ेगा. इसके साथ ही कनाडाई दिग्गज कारोबारी ने भी ट्रंप को अगाह करते हुए इसे बड़ी भूल बताया है. इस दौरान सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘भारत से झगड़ा मोल लेना ट्रंप की बड़ी भूल है.’ आगे उन्होंने क्या कुछ कहा आइये जानते हैं.
ट्रंप के फैसले को लेकर किर्क लुबिमोव ने एक्स पर केया पोस्ट
“इस मामले पर उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की सबसे बड़ी खामी यह है कि उसमें भू-राजनीतिक रणनीति की कोई समझ नहीं है.
बता दें कि ट्रंप ने भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाकर टकराव मोल लिया है. जो कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वैश्विक मंच पर सबसे ज्यादा सम्मानित नेताओं में गिने जाते हैं, जिनके कई अहम देशों से रिश्ते काफी मजबूत है.
विशषज्ञों का कहना है कि रणनीति यह होनी चाहिए कि किस प्रकार चीन और BRICS देशों के बढ़ते प्रभुत्व को संतुलित किया जाए. बता दें कि भारत, BRICS का हिस्सा होने के बावजूद, अमेरिका के लिए एक नेयुरल सहयोगी बन सकता है, खासतौर पर जब उत्पादन को चीन से शिफ्ट करना हो, इसका मुख्य कारण है कि अमेरिका खुद सस्ते 50 सेंट के टूथब्रश नहीं बनाएगा.
जानकारी के मुताबिक, ट्रंप के इस फैसले को लेकर विशषज्ञों का कहना है कि ‘हथौड़ा और कील’ जैसी सख्त नीति के बजाय, अमेरिका को उसके साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही इसमें कनाडा को भी शामिल करना चाहिए, जो कि प्राकृतिक संसाधनों की जरूरतों को पूरा करने में मददगार हो सकता है.
ऐसे में यह ट्रंन की यह एक बहुत बड़ी दीर्घकालिक रणनीतिक चूक है. हमें यह समझना होगा कि दुनिया लॉन्ग टर्म सोच के साथ चलती है. क्योंकि उनके लिए ट्रंप का चार साल का कार्यकाल बस एक ‘झटका’ भर है.”
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